இப்பாடத்தில் கற்க இருப்பது.... |
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இப்பாடத்துடன் இணைந்த ஸம்பாஷண வீடியோவைக் காண தலைப்பைக் ‘க்ளிக்’ செய்யவும். வீடியோவின் அறிமுக வாக்கியங்கள் இப்பாடத்தில் நாம் கற்க இருக்கும் षष्ठी विभक्तिः க்கான நல்ல உதாஹரணங்களாக உள்ளன.
ஸம்பாஷண பயிற்சி - सम्भाषणाभ्यासः | |
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संस्कृत-भाषा-शिक्षणे भवतां सर्वेषां स्वागतम्। | ஸம்ஸ்க்ருத கல்விக்கு அனைவருக்கும் ஸ்வாகதம் |
इदानीं वयं पूर्वतन-पाठस्य पुनःस्मारणं कुर्मः। | இப்பொழுது முந்தைய பாடத்தின் Revision செய்கிறோம். |
षष्ठी विभक्तिः யில் அமைந்த ஶப்தங்கள் மஞ்சள் நிறப் பின்னனியில் காட்டப்பட்டுள்ளன. ‘अस्’ धातुः’ வுக்கான (आसीत् – आसन्, आसम् – आस्म) விரிவான பயிற்சியையும் வீடியோவில் காண்கிறோம். तृतीया विभक्तिः க்குரிய பயிற்சியையும் வீடியோ அளிக்கிறது. நாம் குறிப்பாக तृतीया மற்றும் द्वितीया வடிவங்களை உள்ளடக்கியங்களை கவனிக்கிறோம். இவ்வாக்கியங்களில் கருவியை तृतीया विभक्तिः யாலும் कर्म த்தை >द्वितीया विभक्तिःயாலும் உணர்த்தப்படுவதை தெளிவாக காண்கிறோம்.
अहं दन्तकूर्चेन दन्तधावनं करोमि। | I brush my teeth with tooth brush. |
दण्डेन अहं न ताडयामि। | I do not hit with the stick. |
सः चषकेण जलं पिबति। | He drinks water in cup. |
सः चमसेन शर्करां खादति। | He eats Sugar in spoon. |
अहं हस्तेन स्पर्शं करोमि। | I touch with hand. |
अहं कङ्कतेन केशप्रसाधनं करोमि। | I make my hair with comb. |
करवस्त्रेन मार्जनं करोमि। | (I) wipe with kerchief. |
बालकाः कन्दुकेन क्रीडन्ति। | Boys play with ball. |
उपनेत्रेण पश्यामि। | (I) see with spectacles. |
अहं छुरिकया फलं कर्तयामि। | I cut the fruit with knife. |
वयं मापिकया मापनं कुर्मः। | I measure with scale. |
अहं कुञ्चिकया तालम् उद्घाटयामि। | I open the lock with key. |
मालया अलङ्कारं कुर्मः। | (We) decorate with garland. |
अङ्कन्या चित्रं लिखामः। | (We) draw pictures with pencil. |
दर्व्या परिवेशनं करोति। | (She/He) serves with ladle. |
द्रोण्या जलं नयामः। | (We) bring water with bucket. |
वयं लोकयानेन नगरं गच्छामि। | (We) go to city by Bus. |
बालिका द्विचक्रिकया विद्यालयं गच्छति। | Girl goes to School by bicycle. |
जनाः त्रिचक्रिकया सञ्चारं कुर्वन्ति। | People go round in three wheelers. |
सचीवाः विमानेन विदेशं गच्छन्ति। | Secretaries/Officials go abroad in plane. |
बालकः नौकया गच्छति। | Boy goes by boat. |
ஸம்பாஷண வகுப்புகளில் षष्ठी विभक्तिः தான் முதலில் கற்பிக்கப்படுகிறது. षष्ठी विभक्तिः சுலபமானது என்று மட்டும் அல்ல, உரையாடலுக்கு இன்றியமையாதது கூட. கீழ்க் கண்ட வாக்கியங்களைப் பார்ப்போம்.
मम नाम रमेशः। | என்னுடைய பெயர் ரமேஶ். |
तव पिता अध्यापकः। | உன்னுடைய தந்தை ஆசிரியர். |
रामस्य पत्नी सीता। | சீதா ராமனுடைய மனைவி. |
सीतायाः पतिः रामः। | சீதையின் கணவன் ராமன். |
क्षत्रियस्य धर्मः दुष्ट-निग्रहं शिष्ट-रक्षणं च। | தீயோரை கட்டுபடுத்துதலும் நல்லோரை காத்தலும் க்ஷத்ரிய தர்மம் ஆகும். |
चाकलेहस्य रुचिः मधुरः। | சாக்லேட்டின் சுவை இனிப்பு. |
गृहस्य परितः वृक्षाः सन्ति। | வீட்டின் சுற்றிலும் மரங்கள் உள்ளன. |
छात्राणां पठनं सम्यक् अस्ति। | மாணாக்கர்களின் படிப்பு நன்றாக உள்ளது. |
षष्ठी विभक्तिः द्वयोः पदयोः सम्बन्धं सूचयति। ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் षष्ठी विभक्तिः இரண்டு நபர்கள் / பொருட்களிடையே உள்ள ஸம்பந்தத்தைக் (सम्बन्धः) காட்டுகிறது. ஸம்பந்தங்கள் பல வகைப்படும். षष्ठी विभक्तिः தமிழின் ஆறாம் வேற்றுமையுடன் சில இடங்களில் ஒத்தும் சில இடங்களில் வேறுபட்டும் செயல் படுகிறது. ‘உடைய’ மற்றும் ‘கு’ விகுதிகளுக்கு இணையாக षष्ठी विभक्तिः யின் செயல்பாடு அமைகிறது. இப்பாடம் கீழ்க் காணும் சந்தர்ப்பங்களில் உபயோகப்படுவதை விளக்குகிறது.
எப்பொழுதும் போலவே மூன்று லிங்கங்களிலும் தமக்கு பரிச்சயமான ஶப்தங்களின் षष्ठी வடிவங்களைப் பார்ப்போம்.
கீழ்க்காணும் பட்டியல்களில் நாம் ஏற்கனவே அறிந்த அஜந்த ஶப்தங்களின் (अजन्तशब्दाः) षष्ठी विभक्तिः வடிவங்கள் மஞ்சள் பின்னனியில் நாம் கற்ற மற்ற ஐந்து விபக்தி வடிவங்களுடன் கொடுக்கப் பட்டுள்ளன. ஒவ்வொரு ஶப்தத்தின் எட்டு வடிவங்களையும் காண தலைப்பை ‘Click’ செய்யவும்.
अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘रामः’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रामः | रामौ | रामाः |
सं.प्रथमा | हे राम | हे रामौ | हे रामाः |
द्वितीया | रामम् | रामौ | रामान् |
तृतीया | रामेण | रामाभ्याम् | रामैः |
चतुर्थी | रामाय | रामाभ्याम् | रामेभ्य |
पञ्चमी | रामात् | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
षष्ठी | रामस्य | रामयोः | रामाणाम् |
इकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘हरिः’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | हरिः | हरी | हरयः |
सं.प्रथमा | हे हरे | हे हरी | हे हरयः |
द्वितीया | हरिम् | हरी | हरीन् |
तृतीया | हरिणा | हरिभ्याम् | हरिभिः |
चतुर्थी | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
पञ्चमी | हरेः | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
षष्ठी | हरेः | हर्योः | हरीणाम् |
उकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘गुरुः’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | गुरुः | गुरौ | गुरवः |
सं.प्रथमा | हे गुरो | हे गुरौ | हे गुरवः |
द्वितीया | गुरुम् | गुरौ | गुरून् |
तृतीया | गुरुणा | गुरुभ्याम् | गुरुभिः |
चतुर्थी | गुरवे | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
पञ्चमी | गुरोः | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
षष्ठी | गुरोः | गुर्वोः | गुरूणाम् |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘दातृ’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दाता | दातारौ | दातारः |
सं.प्रथमा | हे दातः | हे दातारौ | हे दातारः |
द्वितीया | दातारम् | दातारौ | दातॄन् |
तृतीया | दात्रा | दातृभ्याम् | दातृभिः |
चतुर्थी | दात्रे | दातृभ्याम् | दातृभ्यः |
पञ्चमी | दातुः | दातृभ्याम् | दातृभ्यः |
षष्ठी | दातुः | दात्रोः | दातॄणाम् |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘पितृ’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | पिता | पितरौ | पितरः |
सं.प्रथमा | हे पितः | हे पितरौ | हे पितरः |
द्वितीया | पितरम् | पितरौ | पितॄन् |
तृतीया | पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः |
चतुर्थी | पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्य |
पञ्चमी | पितुः | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
षष्ठी | पितुः | पित्रोः | पितॄणाम् |
आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘रमा’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रमा | रमे | रमाः |
सं.प्रथमा | हे रमे | हे रमे | हे रमाः |
द्वितीया | रमाम् | रमे | रमाः |
तृतीया | रमया | रमाभ्याम् | रमाभिः |
चतुर्थी | रमायै | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
पञ्चमी | रमायाः | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
षष्ठी | रमायाः | रमयोः | रमाणाम् |
इकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मति’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मतिः | मती | मतयः |
सं.प्रथमा | हे मते | हे मती | हे मतयः |
द्वितीया | मतिम् | मती | मतीः |
तृतीया | मत्या | मतिभ्याम् | मतिभिः |
चतुर्थी | मत्यै-मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
पञ्चमी | मत्याः-मतेः | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
षष्ठी | मत्याः-मतेः | मत्योः | मतीनाम् |
ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘नदी’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | नदी | नद्यौ | नद्यः |
सं.प्रथमा | हे नदि | हे नद्यौ | हे नद्यः |
द्वितीया | नदीम् | नद्यौ | नदीः |
तृतीया | नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः |
चतुर्थी | नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
पञ्चमी | नद्याः | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
षष्ठी | नद्याः | नद्योः | नदीनाम् |
उकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘धेनु’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | धेनुः | धेनू | धेनवः |
सं.प्रथमा | हे धेनो | हे धेनू | हे धेनवः |
द्वितीया | धेनुम् | धेनू | धेनूः |
तृतीया | धेन्वा | धेनुभ्याम् | धेनुभिः |
चतुर्थी | धेन्वै - धेनवे | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
पञ्चमी | धेन्वाः - धेनोः | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
षष्ठी | धेन्वाः - धेनोः | धेन्वोः | धेनुनाम् |
ऋकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मातृ’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | माता | मातरौ | मातरः |
सं.प्रथमा | हे मातः | हे मातरौ | हे मातरः |
द्वितीया | मातरम् | मातरौ | मातॄन् |
तृतीया | मात्रा | मातृभ्याम् | मातृभिः |
चतुर्थी | मात्रे | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
पञ्चमी | मातुः | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
षष्ठी | मातुः | मात्रोः | मातॄणाम् |
अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘फल’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | फलम् | फले | फलानि |
सं.प्रथमा | हे फल | हे फले | हे फलानि |
द्वितीया | फलम् | फले | फलानि |
तृतीया | फलेन | फलाभ्याम् | फलैः |
चतुर्थी | फलाय | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
पञ्चमी | फलात् | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
षष्ठी | फलस्य | फलयोः | फलानाम् |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘वारि’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | वारि | वारिणी | वारीणि |
सं.प्रथमा | हे वारे – हे वारि | हे वारिणी | हे वारीणि |
द्वितीया | वारि | वारिणी | वारीणि |
तृतीया | वारिणा | वारिभ्याम् | वारिभिः |
चतुर्थी | वारिणे | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
पञ्चमी | वारिणः | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
षष्ठी | वारिणः | वारिणोः | वारीणाम् |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘दधि’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दधि | दधिनी | दधीनि |
सं.प्रथमा | हे दधे – हे दधि | हे दधिनी | हे दधीनि |
द्वितीया | दधि | दधिनी | दधीनि |
तृतीया | दध्ना | दधिभ्याम् | दधिभिः |
चतुर्थी | दध्ने | दधिभ्याम् | दधिभ्यः |
पञ्चमी | दध्नः | दधिभ्याम् | दधिभ्यः |
षष्ठी | दध्नः | दध्नोः | दध्नाम् |
उकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘मधु’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मधु | मधुनी | मधूनि |
सं.प्रथमा | हे मधो – हे मधु | हे मधुनी | हे मधूनि |
द्वितीया | मधु | मधुनी | मधूनि |
तृतीया | मधुना | मधुभ्याम् | मधुभिः |
चतुर्थी | मधुने | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
पञ्चमी | मधुनः | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
षष्ठी | मधुनः | मधुनोः | मधूनाम् |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களின் षष्ठी வடிவங்களையும் பார்ப்போம்.
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषः | एतौ | एते |
द्वितीया | एतम् - एनम् | एतौ | एतान् - एनान् |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
पञ्चमी | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
षष्ठी | एतस्य | एतयोः-एनयोः | एतेषाम् |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषा | एते | एताः |
द्वितीया | एताम् - एनाम् | एते | एताः - एनाः |
तृतीया | एतया - एनया | एताभ्याम् | एताभिः |
चतुर्थी | एतस्यै | एताभ्याम् | एताभ्यः |
पञ्चमी | एतस्याः | एताभ्याम् | एताभ्यः |
षष्ठी | एतस्याः | एतयोः-एनयोः | एतासाम् |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एतत्त् | एते | एतानि |
द्वितीया | एतत् - एनत् | एते | एतानि - एनानि |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
पञ्चमी | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
षष्ठी | एतस्य | एतयोः-एनयोः | एतेषाम् |
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सः | तौ | ते |
द्वितीया | तम् | तौ | तान् |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
पञ्चमी | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
षष्ठी | तस्य | तयोः | तेषाम् |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सा | ते | ताः |
द्वितीया | ताम् | ते | ताः |
तृतीया | तया | ताभ्याम् | ताभिः |
चतुर्थी | तस्यै | ताभ्याम् | ताभ्यः |
पञ्चमी | तस्याः | ताभ्याम्> | ताभ्यः |
षष्ठी | तस्याः | तयोः | तासाम् |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | तत् | ते | तानि |
द्वितीया | तत् | ते | तानि |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
पञ्चमी | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
षष्ठी | तस्य | तयोः | तेषाम् |
मकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | कः | कौ | के |
द्वितीया | कम् | कौ | कान् |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
पञ्चमी | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
षष्ठी | कस्य | कयोः | केषाम् |
मकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | का | के | काः |
द्वितीया | काम् | के | काः |
तृतीया | कया | काभ्याम् | काभिः |
चतुर्थी | कस्यै | काभ्याम् | काभ्यः |
पञ्चमी | कस्याः | काभ्याम् | काभ्यः |
षष्ठी | कस्याः | कयोः | कासाम् |
मकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | किम् | के | कानि |
द्वितीया | किम् | के | कानि |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
पञ्चमी | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
षष्ठी | कस्य | कयोः | केषाम् |
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘भवत्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | भवान् | भवन्तौ | भवन्तः |
द्वितीया | भवन्तम् | भवन्तौ | भवतः |
तृतीया | भवता | भवद्भ्याम् | भवद्भिः |
चतुर्थी | भवते | भवद्भ्याम् | भवद्भ्यः |
पञ्चमी | भवतः | भवद्भ्याम् | भवद्भ्यः |
षष्ठी | भवतः | भवतोः | भवताम् |
புல்லிங்க (पुल्लिङ्गः), நபும்சகலிங்க (नपुंसकलिङ्गः) एतद्, तद् மற்றும் किम् ஸர்வநாம ஶப்தங்களை தவிர்த்து அனைத்து ஸர்வநாம ஶப்தங்களுக்கும் पञ्चमी, षष्ठी ஏகவசன (एकवचनम्) வடிவங்கள் ஒத்து இருக்கின்றன.
दकारान्तः ‘अस्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | अहम् | आवाम् | वयम् |
द्वितीया | माम् - मा | आवाम् - नौ | अस्मान् - नः |
तृतीया | मया | आवाभ्याम् | अस्माभिः |
चतुर्थी | मह्यम् - मे | आवाभ्याम् - नौ | अस्मभ्यम् - नः |
पञ्चमी | मत् | आवाभ्याम् | अस्मत् |
षष्ठी | मम - मे | आवयोः - नौ | अस्माकं - नः |
दकारान्तः ‘युष्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | त्वम् | युवाम् | यूयम् |
द्वितीया | त्वाम् - त्वा | युवाम् - वाम् | युष्मान् - वः |
तृतीया | त्वया | युवाभ्याम् | युष्माभिः |
चतुर्थी | तुभ्यम् - ते | युवाभ्याम् - वाम् | युष्मभ्यम् - वः |
पञ्चमी | त्वत् | युवाभ्याम् | युष्मत् |
षष्ठी | तव – ते | युवयोः - वां | युष्माकम् - वः |
‘अस्मद्’ மற்றும் ‘युष्मद्’, ஶப்தங்களின் पञ्चमी, षष्ठी एकवचनम् வடிவங்கள் வேறுபடுகின்றன..
வாக்கியங்களில் षष्ठी विभक्तिः பெரும்பாலும் षष्ठी-सम्बन्धः ஆக அறியப்படுகிறது. ஒருவர் அல்லது ஒரு பொருளின் மற்றொருவர் அல்லது பொருளுடன் உள்ள உறவை அல்லது தொடர்பை षष्ठी विभक्तिः உணர்த்துகிறது. உறவுத் டர்பை உணர்த்தும் உதாஹரணங்கள் கீழேக் கொடுக்கப்பட்டுள்ளன.
रामः दशरथस्य पुत्रः। | இராமன் தசரதனின் மகன். | दशरथस्य – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘दशरथ’ शब्दः – षष्ठी-विभक्तिः एकवचनम् |
कृष्णस्य पत्नी रुक्मिणी। | ருக்மிணீ க்ருஷ்ணனின் மனைவி. | कृष्णस्य – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘कृष्ण’ शब्दः – षष्ठी-विभक्तिः एकवचनम् |
रुक्मिण्याः पतिः कृष्णः। | க்ருஷ்ணன் ருக்மணீயின் கணவன். | रुक्मिण्याः – ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘रुक्मिणी’ शब्दः – षष्ठी-विभक्तिः एकवचनम् |
पादौ शरीरस्य अङ्गौ। | பாதங்கள் ஶரீரத்தின் அங்கங்கள். | शरीरस्य – अकारान्तः नप्सकलिङ्गः ‘पाद’ शब्दः – षष्ठी-विभक्तिः एकवचनम् |
श्री नरेन्द्र मोडी भारतस्य प्रधान-मन्त्री। | ஶ்ரீ நரேந்திர மோடி பாரதத்தின் பிரதம மந்திரி. | भारतस्य - अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः भारत शब्दः – षष्ठी-विभक्तिः एकवचनम् |
रमा सीतायाः भगिनी। | ரமா சீதையின் சகோதரி. | सीतायाः – आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः सीता शब्दः - षष्ठी-विभक्तिः एकवचनम् |
गौर्याः पुत्रः गणेशः। | கௌரியின் மகன் கணேசன். | गौर्याः - ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः गौरी शब्दः – षष्ठी-विभक्तिः एकवचनम् |
रामः लव-कुचयोः पिता। | இராமன் லவ-குசர்களின் தந்தை. | लवकुचयोः - अकारान्तः पुल्लिङ्गः लवकुच शब्दः – षष्ठी-विभक्तिः द्विवचनम् |
உறவுத் தொடர்புகள் षष्ठी विभक्तिः மூலம் குறிப்பிடும் முறையைக் கற்றோம். உறவுகளைக் குறிக்கும் ஸம்ஸ்க்ருத பெயர்களையும் நாம் அறிந்திருக்க வேண்டும் அல்லவா? கீழே நாம் ஏற்கனவே அறிந்த पिता, माता, पुत्र, पुत्री போன்ற சொற்களை தவிர்த்து உறவைக் குறிக்கும் மற்ற சொற்கள் கொடுக்கப்பட்டுள்ளன. உறவுகளின் ஸம்ஸ்க்ருத விளக்கங்களில் षष्टी-विभक्त्यः शब्दाः (மஞ்சள் பின்னனியில்) உள்ளதனால் இப்பட்டியல் षष्ठी-प्रयोगः த்தின் பயிற்சியாகவும் அமைகிறது.
सम्बन्धस्य नाम | संस्कृते विवरणम् | தமிழில் |
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पितामहः | पितुः पिता | தந்தை வழி பாட்டன் |
पितामही | पितुः माता | தந்தை வழி பாட்டி |
मातामहः | मातुः पिता | தாய் வழி பாட்டன் |
मातामही | मातुः माता | தாய் வழி பாட்டி |
पौत्रः | पुत्रस्य पुत्रः | பேரன் (மகனின் மகன்) |
पौत्री | पुत्रस्य पुत्री | பேத்தி (மகனின் மகள்) |
दौहित्रः | पुत्र्याः पुत्रः | பேரன் (மகளின் மகன்) |
दौहित्री | पुत्र्याः पुत्री | பேத்தி (மகளின் மகள்) |
स्नुषा | पुत्रस्य पत्नी | மருமகள் |
जामाता प्रातिपदिकम् - जामातृ | पुत्र्याः पतिः | மருமகன் |
श्वशुरः | पत्युः पिता पत्न्याः पिता | மாமனார் |
श्वश्रूः प्रातिपदिकम् – श्वश्रू – वधू शब्तवत् | पत्युः माता पत्न्याः माता | மாமியார் |
देवरः | पत्युः भ्राता | கணவனின் சகோதரர் |
याता | देवरस्य पत्नी | கணவனின் சகோதரரின் மனைவி |
स्यालः | पत्न्याः भ्राता | மைத்துனன் (மனைவியின் சகோதரன்) |
ननान्दा प्रातिपदिकम् - ननान्दृ | पत्युः भगिनी | நாத்தனார் |
मातुलः | मातुः भ्राता | மாமன் |
पितृव्यः | पितुः भ्राता | தந்தையின் சகோதரர் |
पितृव्या | पितृव्यस्य पत्नी | தந்தையின் சகோதரரின் மனைவி |
भागिनेयः | भगिन्याः पुत्रः | சகோதரியின் மகன் |
भ्रातृजाता | भ्रातुः पत्नी | சகோதரரின் மனைவி |
आवुत्तः | भगिन्याः पतिः | சகோதரியின் கணவன் |
षष्ठी विभक्तिः உணர்த்தும் வேறு ஒரு தொடர்பு உரிமை. ஒன்று ஒருவரின் உரிமையாகவோ அல்லது ஒன்றில் அடங்கியோ இருக்கும் பொழுது உரிமையுடையவர் षष्ठी विभक्तिः யினால் காட்டப் படுகிறார். இவ்வகை பயன்பாட்டினைக் காட்டும் உதாஹரணங்கள் கீழேக் கொடுக்கப்பட்டுள்ளன.
अर्जुनस्य आयुधं गाण्डीवम्। | காண்டீவம் அர்ஜுனனின் ஆயுதம். | अर्जुनस्य – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘अर्जुन’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
वाल्मीकेः कृती रामायणम्। | ராமாயணம் வால்மீகியின் படைப்பு. | वाल्मीकेः – इकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘वाल्मीकि’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
तस्य वस्त्राणि मलिनानि। | அவனுடைய ஆடைகள் அழுக்காக உள்ளன. | तस्य - दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘तद्’ शब्दः (सर्वनाम) – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
मम गृहं पार्श्वे एव अस्ति। | என்னுடைய வீடு அருகில்தான் உள்ளது. | मम – दकारान्तः ‘अस्मद्’ शब्दः (सर्वनाम) - षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
मम मित्रस्य नाम गणेशः। | என் நண்பனின் பெயர் கணேஶன். | मम – दकारान्तः ‘अस्मद्’ शब्दः (सर्वनाम) - षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् मित्रस्य – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘मित्र’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
भवतः पुस्तकं मम समीपे अस्ति। | உங்களுடைய புத்தகம் என்னிடத்தில் உள்ளது. | भवतः – तकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘भवत्’ शब्दः - षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
இறுதியாக கண்ட இரு உதாஹரணங்களில் ஒரே வாக்கியத்தில் இரு ஷஷ்டீ பதங்களைக் காண்கிறோம். ஆனால் அவற்றின் தொடர்பு வெவ்வேறு பதங்களுடன் அமைந்துள்ளன.
मम → मित्रस्य → नाम गणेशः।
முதல் षष्ठी பதமான ‘मम’ ஶப்தத்தின் தொடர்பு ‘मित्रम्’ உடனுடனும் ‘मित्रस्य’ பதத்தின் தொடர்பு नाम’ பதத்துடனும் உள்ளது.
भवतः → पुस्तकं → मम समीपे अस्ति।
‘भवतः’ பதத்தின் தொடர்பு ‘पुस्तकम्’ பதத்துடன் உள்ளது. ‘मम’ பதத்தின் தொடர்பு ‘समीपे’ பதத்துடன் அமைகிறது. இவ்வாறு ஒரே வாக்கியத்தில் தொடராக பல षष्ठी பதங்கள் அமைய இயலும். தொடரும் படிவுகளில் இத்தகைய உதாஹரணங்களை மேலும் காணலாம்.
இவ்வகையில் அமைந்த षष्ठी विभक्तिः ப்ரயோகங்கள் உரிமையை உணர்த்தும் ப்ரயோகங்களை ஒத்துள்ளன. षष्ठी विभक्तिः யைத் தொடரும் பதம் षष्ठी பதத்தின் (गुणी) ஏதாவது குணத்தைக் (गुणः) குறிக்கிறது. உதாஹரணங்கள் இவ்வகை தொடர்பினைத் தெளிவாக்குகின்றன.
बालकानां स्वभावः चञ्चलः। | பாலகர்களின் ஸ்வபாவம் சஞ்சலமானது.. | बालकानां – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘बालक’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः बहुवचनम् |
अस्माकं मैत्री प्रौढा। | நமது நட்பு முதிர்ந்தது. | अस्माकम् – ‘अस्मद्’ शब्दः - षष्ठी विभक्तिः बहुवचनम् |
मरीचिकायाः रुचिः कटुः। | மிளகாயின் சுவை எறிவு. | मरीचिकायाः – आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मरीचिका’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
द्रौपद्याः सौन्दर्यं प्रसिद्धम्। | த்ரௌபதியின் அழகு பிரஸித்தமானது. | द्रौपद्याः - ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘द्रौपदी’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
काकस्य स्वरः कठोरः। | காக்கையின் குரல் கடோரமானது. | काकस्य - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘काक’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
युतकस्य वर्णः नीलः। | சட்டையின் நிறம் நீலம். | युतकस्य - अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘युतक’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
तव शरीरस्य तापः अधिकः। | உன்னுடைய உடலின் சூடு அதிகம். | तव – युष्मद् शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् शरीरस्य - अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘शरीरम्’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
உதாஹரணத்தில் ‘कटुः’ என்ற சுவையின் பெயரைக் கண்டோம். அறுசுவைகளின் பெயரையும் கீழேக் கொடுத்துள்ளோம்.
रुचयः | |
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मधुरः | இனிப்பு |
लवणः | உவர்ப்பு |
आम्लः | புளிப்பு |
कटुः | எறிவு |
तिक्तः | கசப்பு |
कषायः | துவர்ப்பு |
செயலை உணர்த்துமை पठनम्, गमनम् முதலிய பெயர் சொற்கள் भाववाचकशब्दाः என அறியப்படுகின்றன. இச்செயல்களின் कर्ता அல்லது कर्म த்தை குறிக்கும் பதங்கள் षष्ठी विभक्तिः யை ஏற்கின்றன. விளக்கமாய் வரும் உதாஹரணங்களைப் பார்ப்போம்.
वयम् वृक्षाणाम् रक्षणं कुर्मः। | நாங்கள் மரங்களைக் காக்கிறோம். | वृक्षाणाम् – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘वृक्ष’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः बहुवचनम् वृक्षाः रक्षण-कार्यस्य कर्म। |
अघ्यापिका उत्तर-पत्राणां परिशीलनं करोति। | ஆசிரியை விடைத்தாள்களை திருத்துகிறார். | उत्तर-पत्राणां – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘पत्र’ शब्दः – षष्ठी बहुवचनम् उत्तर-पत्राणि परिशिलन-कार्यस्. कर्म। |
गजः सिंहस्य गर्जनं श्रुतवान्। | யானை சிங்கத்தின் கர்ஜனையைக் கேட்டது. | सिंहस्य - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘सिंह’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् सिंहः गर्जन-कार्यस्य कर्ता। |
तस्य पठनं संयक् प्रचलति। | அவனுடைய படிப்பு நன்றாக செல்கிறது. | तस्य – दकारान्तः पुल्लिङ्गः सर्वनामशब्दः ‘तद्’– षष्ठी एकवचनम् सः पठन-कार्यस्य कर्ता। |
भवत्याः आगमनं आनन्द-दायकम्। | தங்களுடைய (பெண்) வரவு ஆனந்தத்தை அளிக்கிறது. | भवत्याः – ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘भवती’ शब्दः – षष्ठी एकवचनम् भवती – आगमनस्य कर्ता। |
செயலை உணர்த்தும் பல ‘कृदन्ताः‘ (कृत्-प्रत्ययाः விகுதிகள்) षष्ठी विभक्तिः பதங்களை தொடர்ந்து வருகின்றன. कृत्-प्रत्ययाः அடுத்த படிவில் தான் கற்க இருப்பதால் இவற்றுடன் இணையும் षष्ठी विभक्तिः ப்ரயோகங்களை இப்பாடத்தில் நாம் விரிவாக கற்க போவதில்லை.
யாருடையது? எதனுடையது? இகுகேள்விகளின் விடையாக வரும் பதங்களுக்கு षष्ठी विभक्तिः பொருந்துகிறது. षष्ठी யை அறிய இது ஒரு எளிய முறையாகும். அனைத்து லிங்கங்களின் மூன்று வசனங்களின் வினாப்பதங்களான कस्य/कयोः/केषाम् மற்றும் कस्या/कयोः/कासाम् என்பவை ‘किम्’ सर्वमनाम-शब्दाः கீழ்க் காணலாம். கீழ்க்காணும் உதாஹரணங்கள் षष्ठी பதங்கள் இவ்வினாக்களின் விடைகளாக அமைவதை தெளிவாக்க் காட்டுகின்றன.
श्रीरामः विश्वामित्रस्य शिष्यः। श्रीरामः कस्य शिष्यः? | ஶ்ரீராமன் விஶ்வாமித்திரரின் சிஷ்யன். | विश्वामित्रस्य – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘विश्वामित्र’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
मालाकारः पुष्पमालायाः ग्रथनं करोति। मालाकारः कस्याः ग्रथनं करोति? | பூக்காரர் பூமாலை கட்டுகிறார். | पुष्पमालायाः – आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘माला’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
बालकानाम् संस्कृत-कक्षा प्रचलति। केषां संस्कृत-कक्षा प्रचलति? | சிறுவர்களுக்கான ஸம்ஸ்க்ருத வகுப்பு நடக்கிறது. | बालकानाम् – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘बालकः’ शब्दः – षष्ठी विभक्तिः बहुवचनम् |
तस्याः नाम गौरी। कस्याः नाम गौरी? | அவளுடைய பெயர் கௌரீ. | तस्याः – दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘तद्’ सर्वनाम-शब्द – षष्ठी विभक्तिः एकवचनम् |
आवयोः मित्रं कृष्णः। कयोः मित्रं कृष्णः? | க்ருஷ்ணன் எங்களுடைய (இருவர்) நண்பன். | आवयोः – ‘अस्मद्’ शब्दः - षष्ठी विभक्तिः द्विवचनम् |
இப்பாடத்தில் இறுதியாக சில அவ்யய பதங்கள் (अव्ययाः) षष्ठी பதங்களுடன் இணைவதைக் காண இருக்கிறோம். இவ்வகையில் இடத்தைக் கொண்ட தொடர்பை षष्ठी வடிவங்கள் இணர்த்துகின்றன. தெளிவு பெற உதாஹரணங்களைக் காண்போம்.
गृहस्य पुरतः उद्यानम् अस्ति। कस्य पुरतः उद्यानम् अस्ति? | வீட்டிற்கு முன்பில் பூங்கா உள்ளது. | गृहस्य – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘गृह’ शब्दः – षष्ठी एकवचनम् |
सिंहः कूपस्य अन्तः अन्यं सिंहम् अपश्यत्। सिंहः कस्य अन्तः अन्यं सिंहम् अपश्यत्? | சிங்கம் கிணற்றிற்கு உள்ளே வேறொரு சிங்கத்தைக் கண்டது. | कूपस्य - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘कूप’ शब्दः – षष्ठी एकवचनम् |
मन्दिरस्य वामतः नदी प्रवहति। कस्य वामतः मदी प्रवहति? | கோவிலுக்கு வலது புறமாக நதி ஓடுகிறது. | मन्दिरस्य - अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘मन्दिर’ शब्दः – षष्ठी एकवचनम् |
वर्गे मम दक्षिणतः राघवः उपविशति। वर्गे कस्य दक्षिणतः राघवः उपविशति? | வகுப்பறையில் ராகவன் எனது இடப்பாகத்தில் அமர்கிறான். | मम – ‘अस्मद्’ शब्दः - षष्ठी एकवचनम् |
गिरेः उपरि दुर्गः आसीत्। कस्य उपरि दुर्गः आसीत्? | குன்றின் மேல் கோட்டை இருக்கிறது. | गिरेः – इकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘गिरि’ शब्दः - षष्ठी एकवचनम् |
उत्पीठिकायाः अधः पत्रम् अस्ति। कस्याः अधः पत्रम् अस्ति? | மேசைக்கு கீழே காகிதம் இருக்கிறது. | उत्पीठिकायाः – आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘उत्पीठिका’ शब्दः - षष्ठी एकवचनम् |
तव पृष्ठतः कः तिष्ठति? कस्य पृष्ठतः कः तिष्ठति? | உனக்கு பின்னால் நிற்பது யார்? | तव – ‘युष्मद्’ शब्दः - षष्ठी एकवचनम् |
பாடம் 20 க்கான ஸம்பாஷண வீடியோவில் ம் मम कृते, पुत्रस्य कृते, शिष्यस्य कृते போன்ற வாக்கிய பகுதிகளைக் கண்டோம். அவ்யய பதம் कृते தொடரும் षष्ठी வடிவங்கள் ஒன்றிற்காக அல்லது ஒருவருக்காக என்ற பொருளைத் தருகிறது. இவ்வகை வாக்கிய அமைப்பகளின் இடத்தில் चतुर्थी विभक्तिः உள்ளடக்கிய வாக்கியங்கள் அமைவதையும் பார்த்தோம். இருவகையான உதாஹரணங்களையும் இப்பொழுது காணலாம்.
कृते योगे | चतुर्थ्या सह |
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अहम् अर्जुनस्य कृते चमसं ददामि। | अहम् अर्जुनाय चमसं ददामि। |
माता पुत्रस्य कृते मोदकम् ददाति। | माता पुत्राय मोदकम् ददाति। |
गुरुः शिष्यस्य कृते विद्यां ददाति। | गुरुः शिष्याय विद्यां ददाति। |
मातामही बालिकायाः कृते कथाम् वदति। | मातामही बालिकायै कथाम् वदति। |
இப்பாடத்தில் பொதுவான ஷஷ்டீ ப்ரயோகங்களையே கற்றோம். ஸம்ஸ்க்ருத ஶ்லோகங்களையும் கட்டுரைகளையும் படிக்கும் பொழுது பல ஸந்தர்ப்பங்களில் षष्ठी विभक्तिः இடம் பெறுவதைக் காணலூம். இப்போது षष्ठी विभक्तिः க்கான பயிற்சி நேரம். अभ्यासाय सिद्धाः भवाम।
वृक्षः – अकारान्तः पुल्लिङ्गशब्दः
वृक्षस्य वृक्षयोः वृक्षाणाम्
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நாம் இதுவரை கற்றது.......
இனியும் நாம் கற்க வேண்டியது ஒரே ஒரு விபக்தி வடிவம் அதூவது இருக்கும் இடத்தைக் குறிக்கும் सप्तमी विभक्तिः. அடுத்தப் பாடத்தில் இதைக் கற்பதுடன் நாம் அனைத்து விபக்தி வடிவங்களையும் அவற்றின் ப்ரயொகங்களையும் கற்றவராவோம். நமது அடுத்தப் பாடம்...
பாடம் 23: ஸம்ஸ்க்ருத நாம பதங்கள் ஸப்தமீ விபக்தி - सप्तमी विभक्तिः
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