நாம் கற்கப் போவது....... | ||
இப்பாடத்தில் கற்க இருப்பது.... |
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இப்பாடத்துடன் இணைந்த ஸம்பாஷண வீடியோவைக் காண தலைப்பைக் ‘க்ளிக்’ செய்யவும். வீடியோவில் நாம் கற்பதற்காக குறிகப்பாக மூன்று விஷயங்களைப் பார்க்கிறோம்.
முதலில் வீடியோவிலிருந்து தினப்படி ஸம்பாஷணத்தில் பயன்படுத்தக்கூடிய சில வாக்கியங்களைப் பார்ப்போம்.
ஸம்பாஷண பயிற்சி - सम्भाषणाभ्यासः | |
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कानिचन वाक्याणि वदामः। कानि + चन = कानिचन | சில வாக்கியங்களை சொல்கிறோம் |
किमर्थं विलम्बेन आगतवान्? | ஏன் நேரம் கடந்து வந்தீர்கள்? |
पादाभ्याम् आगतवान्। अतः विलम्बः जातः। | நடந்து வந்தேன். அதனால் நேரம் ஆகி விட்டது. |
Use of यदा.......तदा | |
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यदा अन्धकारं भवति तदा दीपं ज्वालयामः। | இருட்டும்பொழுது தீபம் ஏற்றுகிறோம். |
यदा बुभुक्षा भवति तदा भोजनं कुर्मः। | பசிக்கும்பொழுது உணவு உண்கிறோம். |
यदा अनारोग्यं भवति तदा चिकित्सालयं गच्छामः। | உடல் நிலை சரியில்லையென்றால் மருத்துவ நிலையம் செல்கிறோம். |
यदा परीक्षा अस्ति तदा पठति। | பரீக்ஷை இருக்கும் பொழுது படிக்கிறான். |
यदा विरामः भवति तदा प्रवासं गच्छन्ति। | விடுமுறை இருக்கும் பொழுது பயணிக்கிறோம். |
यदा विद्युद् गच्छति तदा सिक्तवर्तिकां ज्वालयति। | மின்சாரம் போகும் பொழுது மெழுகு வர்த்தி ஏற்றுகிறான். |
यदा सूर्योदयः भवति तदा कमलं विकसति। | சூரியன் உதிக்கும் பொழுது தாமரை மலர்கிறது. |
यदा पिपासा भवति तदा जलं पिबतु. | தாகம் ஏற்படும்போல் தண்ணீர் குடி. |
यदा पूजा भवति तदा घण्टानाथं कुर्वन्ति। | பூஜை சமயத்தில் மணி அடிக்கிறார்கள். |
यदा वृष्टिः भवति तदा बीजं वपन्ति। | மழை பொழியும் பொழுது விதை விதைக்கிறார்கள். |
यदा सखीं मिलति तदा सम्भाषणं करोमि। | தோழி கிடைக்கும் பொழுது ஸம்பாஷணம் செய்வேன். |
यदा परीक्षा समाप्यते तदा सन्तोषः भवति। | பரீக்ஷை முடியும் பொழுது சந்தோஷம் உண்டாகிறது. |
यदा मनुषस्य कष्टम् भवति तदा दैवं स्मरति। | மனிதனுக்கு துன்பம் நேர்கையில் இறைவனை நினைக்கிறான். |
सप्तमी-विभक्तिः-शब्दाः | |
आत्मरक्षणे संघटनहीनं राष्ट्रं न प्रभवेत्। | ஒழுங்கான அமைப்பில்லாத நாடு தன்னை காத்துக் கொள்ள இயலாது. |
तद् राष्ट्रम् आत्मरक्षणे समर्थं न भवति। | தன்னைக் காப்பதில் அந்நாடு திறமை அற்றதாகிறது. |
रामपुरे सुब्रमण्य-शाश्त्रिः इति कश्चन गृहस्थः आसीत्। कः + चन = कश्चन | ராமபுரத்தில் ஸுப்ரமண்ய-ஶாஶ்திரி என்ற க்ருஹஸ்தன் இருந்தான். |
गृहे कलहं कुरुतः स्म। | அவர்கள் இருவரும் வீட்டில் சண்டையிட்டு கொண்டிருந்தனர். |
दिव्यं जलं मुखे स्थापयित्वा तिष्ठवती। | புனித நீரை வாயில் வைத்திருந்தாள். |
सायंकाले गृहम् आगतवान्। | மாலைப் பொழுதில் வீடு வந்து சேர்ந்தான். |
गृहे शान्तिः भवति। | வீட்டில் அமைதி நிலவியது. |
सप्तमी विभक्तिः பதங்கள் மஞ்சள் பின்னனியில் அமைந்துள்ளன. सप्तमी विभक्तिः குறித்து இப்பாடத்தில் கற்க இருக்கிறோம்.
सप्तमी विभक्तिः பதங்கள் अधिकरणम् அதாவது செயலின் ஆதாரத்தை விளக்குகிறது. பொதுவாக अधिकरणम् மூன்று வகைப்படுகிறது.
இவ்வகையான ஸப்தமீ ப்ரயோகங்களை நாம் விரிவாக கற்க உள்ளோம். அதற்கு முன்பாக எப்பொழுதும் போலவே மூன்று லிங்கங்களிலும் தமக்கு பரிச்சயமான ஶப்தங்களின் सप्तमी வடிவங்களைப் பார்ப்போம்.
கீழ்க்காணும் பட்டியல்களில் நாம் ஏற்கனவே அறிந்த அஜந்த ஶப்தங்களின் (अजन्तशब्दाः) सप्तमी विभक्तिः வடிவங்கள் மஞ்சள் பின்னனியில் நாம் கற்ற மற்ற ஆறு விபக்தி வடிவங்களுடன் கொடுக்கப் பட்டுள்ளன. ஒவ்வொரு ஶப்தத்தின் எட்டு வடிவங்களையும் காண தலைப்பை ‘Click’ செய்யவும்.
अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘रामः’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रामः | रामौ | रामाः |
सं.प्रथमा | हे राम | हे रामौ | हे रामाः |
द्वितीया | रामम् | रामौ | रामान् |
तृतीया | रामेण | रामाभ्याम् | रामैः |
चतुर्थी | रामाय | रामाभ्याम् | रामेभ्य |
पञ्चमी | रामात् | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
षष्ठी | रामस्य | रामयोः | रामाणाम् |
सप्तमी | रामे | रामयोः | रामेषु |
इकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘हरिः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | हरिः | हरी | हरयः |
सं.प्रथमा | हे हरे | हे हरी | हे हरयः |
द्वितीया | हरिम् | हरी | हरीन् |
तृतीया | हरिणा | हरिभ्याम् | हरिभिः |
चतुर्थी | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
पञ्चमी | हरेः | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
षष्ठी | हरेः | हर्योः | हरीणाम् |
सप्तमी | हरौ | हर्योः | हरिषु |
उकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘गुरुः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | गुरुः | गुरौ | गुरवः |
सं.प्रथमा | हे गुरो | हे गुरौ | हे गुरवः |
द्वितीया | गुरुम् | गुरौ | गुरून् |
तृतीया | गुरुणा | गुरुभ्याम् | गुरुभिः |
चतुर्थी | गुरवे | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
पञ्चमी | गुरोः | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
षष्ठी | गुरोः | गुर्वोः | गुरूणाम् |
सप्तमी | गुरौ | गुर्वोः | गुरुषु |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘दातृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दाता | दातारौ | दातारः |
सं.प्रथमा | हे दातः | हे दातारौ | हे दातारः |
द्वितीया | दातारम् | दातारौ | दातॄन् |
तृतीया | दात्रा | दातृभ्याम् | दातृभिः |
चतुर्थी | दात्रे | दातृभ्याम् | दातृभ्यः |
पञ्चमी | दातुः | दातृभ्याम् | दातृभ्यः |
षष्ठी | दातुः | दात्रोः | दातॄणाम् |
सप्तमी | दातरि | दात्रोः | दातृषु |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘पितृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | पिता | पितरौ | पितरः |
सं.प्रथमा | हे पितः | हे पितरौ | हे पितरः |
द्वितीया | पितरम् | पितरौ | पितॄन् |
तृतीया | पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः |
चतुर्थी | पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्य |
पञ्चमी | पितुः | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
षष्ठी | पितुः | पित्रोः | पितॄणाम् |
षष्ठी | पितुः | पित्रोः | पितॄणाम् |
सप्तमी | पितरि | पित्रोः | पितृषु |
आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘रमा’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रमा | रमे | रमाः |
सं.प्रथमा | हे रमे | हे रमे | हे रमाः |
द्वितीया | रमाम् | रमे | रमाः |
तृतीया | रमया | रमाभ्याम् | रमाभिः |
चतुर्थी | रमायै | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
पञ्चमी | रमायाः | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
षष्ठी | रमायाः | रमयोः | रमाणाम् |
सप्तमी | रमायाम् | रमयोः | रमासु |
इकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मति’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मतिः | मती | मतयः |
सं.प्रथमा | हे मते | हे मती | हे मतयः |
द्वितीया | मतिम् | मती | मतीः |
तृतीया | मत्या | मतिभ्याम् | मतिभिः |
चतुर्थी | मत्यै-मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
पञ्चमी | मत्याः-मतेः | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
षष्ठी | मत्याः-मतेः | मत्योः | मतीनाम् |
सप्तमी | मत्याम् - मतौ | मत्योः | मतिषु |
ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘नदी’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | नदी | नद्यौ | नद्यः |
सं.प्रथमा | हे नदि | हे नद्यौ | हे नद्यः |
द्वितीया | नदीम् | नद्यौ | नदीः |
तृतीया | नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः |
चतुर्थी | नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
पञ्चमी | नद्याः | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
षष्ठी | नद्याः | नद्योः | नदीनाम् |
सप्तमी | नद्याम् | नद्योः | नदीषु |
उकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘धेनु’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | धेनुः | धेनू | धेनवः |
सं.प्रथमा | हे धेनो | हे धेनू | हे धेनवः |
द्वितीया | धेनुम् | धेनू | धेनूः |
तृतीया | धेन्वा | धेनुभ्याम् | धेनुभिः |
चतुर्थी | धेन्वै - धेनवे | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
पञ्चमी | धेन्वाः - धेनोः | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
षष्ठी | धेन्वाः - धेनोः | धेन्वोः | धेनुनाम् |
सप्तमी | धेन्वाम् - धेनौ | धेन्वोः | धेनुषु |
ऋकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मातृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | माता | मातरौ | मातरः |
सं.प्रथमा | हे मातः | हे मातरौ | हे मातरः |
द्वितीया | मातरम् | मातरौ | मातॄन् |
तृतीया | मात्रा | मातृभ्याम् | मातृभिः |
चतुर्थी | मात्रे | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
पञ्चमी | मातुः | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
षष्ठी | मातुः | मात्रोः | मातॄणाम् |
सप्तमी | मातरि | मात्रोः | मातृषु |
अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘फल’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | फलम् | फले | फलानि |
सं.प्रथमा | हे फल | हे फले | हे फलानि |
द्वितीया | फलम् | फले | फलानि |
तृतीया | फलेन | फलाभ्याम् | फलैः |
चतुर्थी | फलाय | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
पञ्चमी | फलात् | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
षष्ठी | फलस्य | फलयोः | फलानाम् |
सप्तमी | फले | फलयोः | फलेषु |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘वारि’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | वारि | वारिणी | वारीणि |
सं.प्रथमा | हे वारे – हे वारि | हे वारिणी | हे वारीणि |
द्वितीया | वारि | वारिणी | वारीणि |
तृतीया | वारिणा | वारिभ्याम् | वारिभिः |
चतुर्थी | वारिणे | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
पञ्चमी | वारिणः | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
षष्ठी | वारिणः | वारिणोः | वारीणाम् |
सप्तमी | वारिणि | वारिणोः | वारिषु |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘दधि’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दधि | दधिनी | दधीनि |
सं.प्रथमा | हे दधे – हे दधि | हे दधिनी | हे दधीनि |
द्वितीया | दधि | दधिनी | दधीनि |
तृतीया | दध्ना | दधिभ्याम् | दधिभिः |
चतुर्थी | दध्ने | दधिभ्याम् | दधिभ्यः |
पञ्चमी | दध्नः | दधिभ्याम् | दधिभ्यः |
षष्ठी | दध्नः | दध्नोः | दध्नाम् |
सप्तमी | दध्नि-दधनि | दध्नोः | दधिषु |
उकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘मधु’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मधु | मधुनी | मधूनि |
सं.प्रथमा | हे मधो – हे मधु | हे मधुनी | हे मधूनि |
द्वितीया | मधु | मधुनी | मधूनि |
तृतीया | मधुना | मधुभ्याम् | मधुभिः |
चतुर्थी | मधुने | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
पञ्चमी | मधुनः | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
षष्ठी | मधुनः | मधुनोः | मधूनाम् |
सप्तमी | मधुनि | मधुनोः | मधुषु |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களின் सप्तमी வடிவங்களையும் பார்ப்போம்.
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषः | एतौ | एते |
द्वितीया | एतम् - एनम् | एतौ | एतान् - एनान् |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
पञ्चमी | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
षष्ठी | एतस्य | एतयोः-एनयोः | एतेषाम् |
सप्तमी | एतस्मिन् | एतयोः-एनयोः | एतेषु |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषा | एते | एताः |
द्वितीया | एताम् - एनाम् | एते | एताः - एनाः |
तृतीया | एतया - एनया | एताभ्याम् | एताभिः |
चतुर्थी | एतस्यै | एताभ्याम् | एताभ्यः |
पञ्चमी | एतस्याः | एताभ्याम् | एताभ्यः |
षष्ठी | एतस्याः | एतयोः-एनयोः | एतासाम् |
सप्तमी | एतस्याम् | एतयोः-एनयोः | एतासु |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एतत्त् | एते | एतानि |
द्वितीया | एतत् - एनत् | एते | एतानि - एनानि |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
पञ्चमी | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
षष्ठी | एतस्य | एतयोः-एनयोः | एतेषाम् |
सप्तमी | एतस्मिन् | एतयोः-एनयोः | एतेषु |
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सः | तौ | ते |
द्वितीया | तम् | तौ | तान् |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
पञ्चमी | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
षष्ठी | तस्य | तयोः | तेषाम् |
सप्तमी | तस्मिन् | तयोः | तेषु |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सा | ते | ताः |
द्वितीया | ताम् | ते | ताः |
तृतीया | तया | ताभ्याम् | ताभिः |
चतुर्थी | तस्यै | ताभ्याम् | ताभ्यः |
पञ्चमी | तस्याः | ताभ्याम्> | ताभ्यः |
षष्ठी | तस्याः | तयोः | तासाम् |
सप्तमी | तस्याम् | तयोः | तासु |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | तत् | ते | तानि |
द्वितीया | तत् | ते | तानि |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
पञ्चमी | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
षष्ठी | तस्य | तयोः | तेषाम् |
सप्तमी | तस्मिन् | तयोः | तेषु |
मकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | कः | कौ | के |
द्वितीया | कम् | कौ | कान् |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
पञ्चमी | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
षष्ठी | कस्य | कयोः | केषाम् |
सप्तमी | कस्मिन् | कयोः | केषु |
मकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | का | के | काः |
द्वितीया | काम् | के | काः |
तृतीया | कया | काभ्याम् | काभिः |
चतुर्थी | कस्यै | काभ्याम् | काभ्यः |
पञ्चमी | कस्याः | काभ्याम् | काभ्यः |
षष्ठी | कस्याः | कयोः | कासाम् |
सप्तमी | कस्याम् | कयोः | कासु |
मकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | किम् | के | कानि |
द्वितीया | किम् | के | कानि |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
पञ्चमी | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
षष्ठी | कस्य | कयोः | केषाम् |
सप्तमी | कस्मिन् | कयोः | केषु |
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘भवत्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | भवान् | भवन्तौ | भवन्तः |
द्वितीया | भवन्तम् | भवन्तौ | भवतः |
तृतीया | भवता | भवद्भ्याम् | भवद्भिः |
चतुर्थी | भवते | भवद्भ्याम् | भवद्भ्यः |
पञ्चमी | भवतः | भवद्भ्याम् | भवद्भ्यः |
षष्ठी | भवतः | भवतोः | भवताम् |
सप्तमी | भवति | भवतोः | भवत्सु |
दकारान्तः ‘अस्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | अहम् | आवाम् | वयम् |
द्वितीया | माम् - मा | आवाम् - नौ | अस्मान् - नः |
तृतीया | मया | आवाभ्याम् | अस्माभिः |
चतुर्थी | मह्यम् - मे | आवाभ्याम् - नौ | अस्मभ्यम् - नः |
पञ्चमी | मत् | आवाभ्याम् | अस्मत् |
षष्ठी | मम - मे | आवयोः - नौ | अस्माकं - नः |
सप्तमी | मयि | आवयोः | अस्मासु |
दकारान्तः ‘युष्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | त्वम् | युवाम् | यूयम् |
द्वितीया | त्वाम् - त्वा | युवाम् - वाम् | युष्मान् - वः |
तृतीया | त्वया | युवाभ्याम् | युष्माभिः |
चतुर्थी | तुभ्यम् - ते | युवाभ्याम् - वाम् | युष्मभ्यम् - वः |
पञ्चमी | त्वत् | युवाभ्याम् | युष्मत् |
षष्ठी | तव – ते | युवयोः - वां | युष्माकम् - वः |
सप्तमी | त्वयि | युवयोः | युष्मासु |
முந்தைய உதாஹரணங்களில் செயல் எங்கே நடைபடுகிறது என்பதை सप्तमी विभक्तिः உணர்த்துவடைக் கண்டோம். सप्तमी யில் அமைந்த ஶப்தங்கள் कुत्र (எங்கே) என்ற கேள்விக்கு விடையாக அமைகிறது. கீழ்க்காணும் ஸப்தமீ உதாஹரணங்கள் सप्तमी विभक्तिः எவ்விதம் देश-अधिकरणम् த்தை உணர்த்துகிறு என்பதை காட்டுகின்றன. உடன் காணப்படும் कुत्र என்ற கேள்விக்கு விடையாக அமையும் सप्तमी विभक्तिः பதங்கள் மஞ்சள் பின்னனியில் காட்டப்பட்டுள்ளன.
फलानि स्थाल्याम् सन्ति। फलानि कुत्र सन्ति? | பழங்கள் தட்டில் உள்ளன. | स्थाल्याम् – ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘स्थाली’ शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
मीनाः जले वसन्ति। मीनाः कुत्र वसन्ति? | மீன்கள் நீரில் வாழ்கின்றன. | जले – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘जल’ शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
वार्ताः पत्रिकासु सन्ति। वार्ताः कुत्र सन्ति? | செய்திகள் பத்திரிகைகளில் உள்ளன. | पत्रिकासु – आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘पत्रिका’ शब्दः – सप्तमी बहुवचनम् |
पात्रयोः लड्डुकानि आसन्। लड्डुकानि कुत्र आसन्? | லட்டுக்கள் இரு பாத்திரங்களில் இருந்தன. | पात्रयोः – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘पात्र’ शब्दः – सप्तमी द्विवचनम् |
मीनाक्षी-मन्दिरं मदुरै-नगरे अस्ति। मीनाक्षी-मन्दिरं कुत्र अस्ति? | மீனாக்ஷீ கோவில் மதுரையில் உள்ளது. | मदुरै-नगरे - अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘नगर’ शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
तस्याः पादयोः नूपुरे स्तः। नूपुरे कुत्र स्तः? | கொலுசுகள் (இரண்டு) கணுக்கால்களில் உள்ளன. | पादयोः – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘पाद’ शब्दः – सप्तमी द्विवचनम् |
धनस्यूते धनं नास्ति। कुत्र धनं नास्ति? | பணப்பையில் பணம் இல்லை. | धनस्यूते - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘स्यूत’ शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
वानराः शाखासु उपविशन्ति। वानराः कुत्र उपविशन्ति? | குரங்குகள் கிளைகளில் அமர்ந்துள்ளன. | शाखासु - आकारान्तः सत्रीलिङ्गः ‘शाखा’ शब्दः – सपतमी बहुवचनम् |
देशाधिकरण-सपतमी ‘எங்கே?’ (कुत्र) என்ற வினாவிற்கு விடையாகுதல் போல் कालाधिकरण-सप्तमी ‘எப்பொழுது?’ (कदा) என்ற கேள்விக்கு விடையளிக்கிறது. அதாவது இத்தகைய ஸப்தமீ செயல் நடக்கும் காலத்தை உணர்த்துகிறது. கீழ்க்காணும் எடுத்துக்காட்டுகளில் மஞ்சள் பின்னனியில் காட்டப்பட்டுள்ள ஸப்தமீ பதங்கள் இவ்வகை ப்ரயோகத்தை தெளிவாக விளக்குகின்றன.
अहं सायंकाले दीपम् ज्वालयामि। अहं कदा दीपम् ज्वालयामि? | நான் மாலையில் விளக்கு ஏற்றுகிறேன். | सायंकाले – अकारान्तः पुल्लिङ्गः काल शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
अस्माकं परीक्षाः जून्-मासे भविष्यन्ति। अस्माकं परीक्षाः कदा भविष्यन्ति? | எங்கள் பரீக்ஷை ஜூன் மாதத்தில் இருக்கும். | जून्-मासे – अकारान्तः पुल्लिङ्गः मास शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
विद्यालये गते सप्ताहे क्रीडा-स्पर्धाः अभविष्यन्। विद्यालये कदा क्रीडा-स्पर्धाः अभविष्यन्? | எங்கள் பள்ளியில் கடந்த வாரம் விளையாட்டு போட்டிகள் நடைபெற்றன. | विद्यालये - अकारान्तः पुल्लिङ्गः विद्यालय शब्दः – सप्तमी एकवचनम् गते - अकारान्तः पुल्लिङ्गः गत शब्दः – सप्तमी एकवचनम् सप्ताहे - अकारान्तः पुल्लिङ्गः सप्ताह शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
मम पिता प्रातःकाले नववादने कार्यालयं गच्छति। मम पिता कअकारान्तः पुल्लिङ्गः काल शब्दः – सप्तमी एकवचनम्दा कार्यालयं गच्छति? | என் தந்தை காலையில் ஒன்பது மணியளவில் அலுவலகம் செல்கிறார். | प्रातःकाले –अकारान्तः पुल्लिङ्गः काल शब्दः – सप्तमी एकवचनम् नववादने - अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः वादन शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
बुधवासरे वयं नारायणीय-पारायणं कुर्मः। कदा वयं नारायणीय-पारायणं कुर्मः? | நாங்கள் புதன் கிழமை நாராயணீயம் பாராயணம் செய்கிறோம். | बुधवासरे – अकारान्तः पुल्लिङ्गः वासर शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
देशाधिकरण, कालाधिकरण-सप्तमी இரண்டையும்
‘विद्यालये गते सप्ताहे क्रीडा-स्पर्धाः अभविष्यन्।’.
என்ற உதாஹரணத்தில் காண்கிறோம்.
सप्तमी विभक्तिः தமிழில் ‘இல்’, ‘இடம்’, ‘இடத்தில்’ ஆகிய விகுதிகளுக்கு இணையாக உள்ளதைக் காண்கிறோம்.
இடம், காலம் அல்லாமல் எந்த விஷயத்தில் செயல் நிற்கிறது என்பதை सप्तमी विभक्तिः சுட்டிக் காட்டுகிறது. விஷயத்தைக் குறிக்கும் ஶப்தம் மூன்று லிங்கங்களிலும் அமைவதால், कस्मिन्, कस्याम् அல்லது कयोः, केषु, कासु ஆகியவற்றின் விடையாக ஸப்தமீ ஶப்தங்கள் பெறப்படுகின்றன. இவ்வினா ஶப்தங்களை ‘किम्’ ஸர்வநாம ஸப்தத்தின் மூன்று லிங்கங்களுக்குமான பட்டியல்களில் காணலாம். இவ்வகைப்பட்ட ஸப்தமீ ப்ரயோகங்களை தினசரி ஸம்பாஷணங்களில் அதிகமாக காண்கிறோம். உதாஹரணங்கள் மேலும் விளக்குகின்றன.
मम पत्नी गृहकार्येषु कुशला। मम पत्नी केषु कुशला? | என் மனைவி வீட்டு வேளைகளில் திறமையானவள். | गृहकार्येषु – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः कार्य शब्दः – सप्तमी बहुवचनम् |
अध्ययने बालकस्य अभिरुचिः नास्ति। बालकस्य अभिरुचिः कस्मिन् नास्ति? | பாலகனுக்கு படிப்பில் விருப்பம் இல்லை. | अध्ययने – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः अध्ययन शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
शबर्याः रामे अतीव भक्तिः आसीत्।, शबर्याः कस्मिन् अतीव भक्तिः आसीत्? | ஶபரிக்கு இராமனிடத்தில் தீவ்ரமான பக்தி இருந்தது. | रामे – अकारान्तः पुल्लिङ्गः अध्ययन शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
राधायाः सङ्गीते आसक्तिः अस्ति। राधायाः कस्मिन् आसक्तिः अस्ति? | ராதைக்கு ஸங்கீதத்தில் விருப்பம் இருக்கிறது. | सङ्गीते - अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः सङ्गीत शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
सर्वेषां संस्कृत-भाषायां प्रीतिः भवेत्। सर्वेषां कस्याम् प्रीतिः भवेत्? | அனைவருக்கும் ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் அன்பு உண்டாகட்டும். | संस्कृत-भाषायां - आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः भाषा शब्दः – सप्तमी एकवचनम् |
भीष्म-द्रोणयोः दुर्योधनः अनादरं प्रकटितवान्। दुर्योधनः कयोः अनादरं प्रकटितवान्? | துர்யோதனன் பீஷ்ம-த்ரோணரிடத்தில் அலட்சியம் காட்டியவனாய் இருந்தான். | भीष्म-द्रोणयोः - अकारान्तः पुल्लिङ्गः द्रोण शब्दः – सप्तमी द्विवचनम् |
ஒரு குழு அல்லது கூட்டத்தில் ஏதேனும் ஒருவரை அல்லது ஒன்றை சிறப்பாக நிலைப்படுத்தும் பொழுது सप्तमी विभक्तिः பயன்படுகிறது. இவ்வகையில் சில உதாஹரணங்களைப் பார்ப்போம். ஸப்தமீ வடிவங்களை மஞ்சள் பின்னனியில் எடுத்துக் காட்டப்பட்டுள்ளன.
अर्जुनः पाण्डवेषु श्रेष्ठः। अर्जुनः केषु श्रेष्ठः? | பாண்டவர்களில் அர்ஜுனன் சிறந்தவன். | पाण्डवेषु – अकारान्तः पुल्लिङ्गः पाण्डव शब्दः – सप्तमी बहुवचनम् |
मम पुत्रीषु अखिला कनिष्ठा। कासु अखिला कनिष्ठा? | என்னுடைய மகள்களில் அகிலா இளையவள். | पुत्रीषु – ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः पुत्री शब्दः – सप्तमी बहुवचनम् |
फलेषु आम्रफलम् मधुरतमम्। केषु आम्रफलम् मधुरतमम्? | பழங்களில் மாம்பழம் இனிமையானது. | फलेषु - अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः फल शब्दः – सप्तमी बहुवचनम् |
मम मित्रेषु सुरेशः आप्तः। केषु सुरेशः आप्तः? | என் நண்பர்களில் சுரேஷ் நெருக்கமானவன். | मित्रेषु – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः फल शब्दः – सप्तमी बहुवचनम् |
गङ्गायमुनयोः यमुना गभीरा। कयोः यमुना गभीरा? | கங்கை-யமுனையிடையில் யமுனை ஆழமானவள். | गङ्गायमुनयोः – आकारानतः स्त्रीलिङ्गः यमुना शब्दः – सप्तमी द्विवचनम् |
निर्धारण-सप्तमी வடிவங்கள் बहुवचनम् அல்லது द्विवचनम् த்தில் அமைகின்றன. एकनचनम् த்தில் அமைவதில்லை.
निर्धारण-प्रयोगे सप्तम्याः स्थाने षष्ठी अपि प्रयुक्तुं शक्यते। மேற்கண்ட உதாஹரணங்களில் ஸப்தமீக்கு பதிலாக ஷஷ்டீ விபக்தியையும் பயன்படுத்தலூம். அத்தகைய வாக்கியங்கள் கீழ் கண்டவாறு அமைகின்றன.
இப்பாடத்தில் நாம் ஸாமான்ய ஸப்தமீ சந்தர்ப்பங்களையே கற்றோம். கவிநயம் பொருந்திய सति-सप्तमी போன்ற ப்ரயோகங்கள் தொடக்கநிலையில் கற்க கடினமானவையாகும். பின்னொரு நிலையில் காவியங்களைக் கற்கும் பொழுது सति-सप्तमी ப்ரயோகத்தை கற்க இருக்கிறோம். इदानीम् अभ्यासं कृत्वा पाठं समापयामः।
वृक्षः – अकारान्तः पुल्लिङ्गशब्दः
वृक्षे वृक्षयोः वृक्षॆषु
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நாம் இதுவரை கற்றது.......
ஆஹா! நாம் ஏழு விபக்திகளையும் கற்று விட்டோம் (सम्बोधन-प्रथमा தனியான விபக்தியாக கருதப்படுவதில்லை) सप्तविभक्त्यानां विषये किञ्चित् जानीमः। பெரும்பாலான பாடங்களில் வாக்கியங்களில் அவ்யயங்கள் (अव्ययानि) இடை பெறுவதை பார்த்தோம். இப்படிவின் இறுதியை நெருங்கும் நிலையில் அதிகம் பயன்படும் ஒரு சில அவ்ய்யங்களை கற்கலாம். வாருங்கள் அடுத்தப் பாடத்திற்கு.........
Lesson 24: ஸம்ஸ்க்ருத அவ்யயங்கள் - अव्ययानि
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