இப்பாடத்தில் கற்க இருப்பது.... |
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நாமபதங்கள் ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் விபக்தியின் அடிப்படையில் ஏழு விதமாக அமைகின்றன. ஒவ்வொறு விபக்தி வடிவமும் க்ரியா பதத்துடன் அப்பதத்தின் ஸம்பந்தத்தை காட்டுகிறது. இப்படிவில் ஸப்த விபக்திகளைக் (सप्तविभक्तयः) குறித்து கற்றோம். விபக்தி வடிவங்கள் மற்றும் அவை உணர்த்தும் பொருள் குறித்து மீண்டும் ஒரு முறை பார்ப்போம்.
प्रथमा विभक्तिः வடிவங்கள் கீழ்க் கண்ட இடங்களில் பயன்படுத்தப்படுகின்றன.
प्रथमा विभक्तिः யைக் கொண்ட எழுவாய் (Subject), कः, का, किम् மற்றும் இவற்றின் த்விவசன, பஹுவசன வினாக்களால் பெறப்படுகின்றன.
प्रथमा विभक्तिः பற்றிய நமது பாடத்தில் முதல் இரண்டு வித ப்ரயோகங்கள் மாத்திரம் காட்டப்பட்டுள்ளன. செயல்பாட்டு வினை ப்ரயோகங்கள் (Passive Voice) தொடரும் பதிவில் கற்க இருக்கிறோம்.
இப்பொழுது நாம் மூன்று லிங்கங்களிலும் ஏற்கனவே கற்ற அஜந்த ஶப்தங்களின் प्रथमा विभक्तिः வடிவங்களைக் காணலாம்.
पुल्लिङ्गे प्रथमाविभक्ति-रूपाणि | |||
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अन्तः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
अकाराम्तः (राम) | रामः रामः पठति। | रामौ रामौ पठत। | रामाः रामाः पठन्ति। |
इकारान्तः (हरि) | हरिः हरिः गच्छति। | हरी हरी गच्छतः। | हरयः हरयः गच्छन्ति। |
उकारान्तः (गुरु) | गुरुः गुरुः उपदिशति। | गुरू गरू उपदिशतः। | गुरवः गुरवः उपदिशन्ति। |
ऋकारान्तः (पितृ) | पिता पिता नमति। | पितरौ पितरौ नमतः। | पितरः पितरः नमन्ति। |
स्त्रीलिङ्गे प्रथमाविभक्ति-रूपाणि | |||
आकारान्तः (रमा) | रमा रमा गायति। | रमे रमे गायतः। | रमाः रमाः गायन्ति। |
इकारान्तः (मति) | मतिः मतिः अस्ति। | मती मती स्तः। | मतयः मतयः सन्ति। |
ईकारान्तः (नदी) | नदी नदी प्रवहति। | नद्यौ नद्यौ प्रवहतः। | नद्यः नद्यः प्रवहन्ति। |
उकारान्तः (धेनु) | धेनुः धेनुः चरति। | धेनू धेनू चरतः। | धेनवः धेनवः चरन्ति। |
ऊकारान्तः (वधू) | वधूः वधूः उपविशति। | वध्वौ वध्वौ उपविशतः। | वध्वाः वघ्वाः उपविशन्ति। |
ऋकारान्तः (मातृ) | माता माता पचति। | मातरौ मातरौ पचतः। | मातरः मातरः पचन्ति। |
नपुंसके प्रथमाविभक्ति-रूपाणि | |||
अकारान्तः (फल) | फलम् फलं पतति। | फले फले पततः। | फलानि फलानि पतन्ति। |
इकारान्तः (वारि) | वारि | वारिणी | वारीणि |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களின் प्रथमाविभक्तिः வடிங்களையும் பார்க்கலாம்.
सर्वनामशब्दानां प्रथमाविभक्ति-रूपाणि | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
एतद् (पुं) | एषः एषः बालः। | एतौ एतौ बालौ। | एते एते बालाः। |
एतद् (स्त्री) | एषा एषा लता। | एते एते लते। | एषाः एषाः लताः। |
एतद् (नपुं) | एतत् एतत् फलम्। | एते एते फले। | एतानि एतानि फलानि। |
तद् (पुं) | सः सः वृक्षः। | तौ तौ वृक्षौ। | ते ते वृक्षाः। |
तद् (स्त्री) | सा सा युवती। | ते ते युवत्यौ। | ताः ताः युवत्यः। |
तद् (नपुं) | तत् तत् गृहम्। | ते ते गृहे। | तानि तानि गृहानि। |
किम् (पुं) | कः | कौ | के |
किम् (स्त्री) | का | के | काः |
किम् (नपुं) | किम् | के | कानि |
प्रथमा विभक्तिः பாடத்திற்கான லிங்க் கீழே தரப்பட்டுள்ளது. ‘க்ளிக்’ செய்து பாடத்தை ஒருமுறைக் கூட படிக்கலாம்.
प्रथमा विभक्तिः
सम्बोधन-प्रथमा विभक्तिः ஒருவரை விளிக்கவோ அல்லது பேசும்போது அழைக்கவோ விளிச்சொல்லாக பயன்படுகிறது. ஸம்போதனா வடிவங்களுடன் हे, अयि மற்றும் भोः போன்ற பொது விளிகளும் இணைக்கப்படுகின்றன.
उदाहरणम्:
हे छात्राः! भोः मित्र!
நாம் அறிந்த அஜந்த ஸப்தங்களின் (अजन्ताः शब्दाः) ஸம்போதன ரூபங்களை பார்ப்போமா?
पुल्लिङ्गे सम्बोधनप्रथमाविभक्ति-रूपाणि | |||
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अन्तः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
अकाराम्तः (राम) | राम हे राम! | रामौ हे रामौ! | रामाः हे रामाः! |
इकारान्तः (हरि) | हरे हे हरे! | हरी हे हरी! | हरयः हे हरयः! |
उकारान्तः (गुरु) | गुरो हे गुरो! | गुरू हे गुरू! | गुरवः हे गुरवः! |
ऋकारान्तः (पितृ) | पितः हे पितः! | पितरौ हे पितरौ! | पितरः हे पितरः! |
स्त्रीलिङ्गे सम्बोधनप्रथमाविभक्ति-रूपाणि | |||
आकारान्तः (रमा) | रमे हे रमे! | रमे हे रमे! | रमाः हे रमाः! |
इकारान्तः (मति) | मते हे मते! | मती हे मती! | मतयः हे मतय! |
ईकारान्तः (नदी) | नदि हे नदि! | नद्यौ हे नद्यौ! | नद्यः हे नद्यः! |
उकारान्तः (धेनु) | धेनो हे धेनो! | धेनू हे धेनू! | धेनवः हे धेनवः! |
ऊकारान्तः (वधू) | वधु हे वधु! | वध्वौ हे वध्वौ! | वध्वाः हे वघ्वाः! |
ऋकारान्तः (मातृ) | मातः हे मातः! | मातरौ हे मातरौ! | मातरः हे मातरः! |
नपुंसके सम्बोधनप्रथमाविभक्ति-रूपाणि | |||
अकारान्तः (फल) | फल हे फल! | फले हे फले! | फलानि हे फलानि! |
इकारान्तः (वारि) | वारे – वारि हे वारे! – हे वारि! | वारिणी हे वारिणी! | वारीणि हे वारीणि! |
ஒருவர் அல்லது பலரை அழைக்கும் ஸம்போதனங்களுடன் பொதுவாக लोट्-क्रियापदानि இணைகின்றன.
सम्बोधनप्रथमा विभक्तिः பாடத்தை மீண்டும் புரட்ட, படிக்க கீழே தரப்பட்டுள்ள லிங்கை ‘click’ செய்யவும்.
सम्बोधनप्रथमा विभक्तिः
द्वितीया विभक्तिः எங்கே பயன்படுகிறது?
இப்பொழுது மூன்று லிங்கங்களிலும் நமக்கு பரிச்சயமான அஜந்தங்களின் (अजन्ताः शब्दाः) த்விதீயா வடிவங்களைக் காணலாம்.
पुल्लिङ्गे द्वितीयाविभक्ति-रूपाणि | |||
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अन्तः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
अकाराम्तः (राम) | रामम् रमेशः ग्रामं गच्छति। | रामौ रमेशः वृक्षौ पश्यति। | रामान् रमेशः वृक्षान् पश्यति। |
इकारान्तः (हरि) | हरिम् | हरी | हरीन् |
उकारान्तः (गुरु) | गुरुम् शिष्यः गुरुम् नमति। | गुरू शिष्यः गुरू नमति। | गुरून् शिष्यः गुरून् नमति। |
ऋकारान्तः (पितृ) | पितरम् | पितरौ | पितॄन् |
स्त्रीलिङ्गे द्वितीयाविभक्ति-रूपाणि | |||
आकारान्तः (रमा) | रमाम् | रमे | रमाः |
इकारान्तः (मति) | मतिम् | मती | मतीः |
ईकारान्तः (नदी) | नदीम् वीथीं उभयतः वृक्षाः सन्ति। | नद्यौ | नदीः |
उकारान्तः (धेनु) | धेनुम् धेनुं परितः वत्साः सन्ति। | धेनू | धेनूः |
ऊकारान्तः (वधू) | वधूम् | वध्वौ | वधूः |
ऋकारान्तः (मातृ) | मातरम् | मातरौ | मातॄन् |
नपुंसके द्वितीयाविभक्ति-रूपाणि | |||
अकारान्तः (फल) | फलम् | फले | फलानि |
इकारान्तः (वारि) | वारि | वारिणी | वारीणि |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களின் த்விதீயா வடிவங்கள்
सर्वनामशब्दानां द्वितीयाविभक्ति-रूपाणि | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
एतद् (पुं) | एतम् - एनम् | एतौ | एतान् |
एतद् (स्त्री) | एषाम् - एनाम् | एते | एषाः |
एतद् (नपुं) | एतत् - एनत् | एते | एतानि |
तद् (पुं) | तम् | तौ | तान् |
तद् (स्त्री) | ताम् | ते | ताः |
तद् (नपुं) | तत् | ते | तानि |
किम् (पुं) | कम् | कौ | कान् |
किम् (स्त्री) | काम् | के | काः |
किम् (नपुं) | किम् | के | कानि |
வாக்கியங்களில் द्विकर्मकाः தாதுக்களின் क्रियापदानि இரண்டு கர்ம பதங்களை (मुख्यकर्म गौणकर्म च) ஏற்கின்றன. உதாஹரண வாக்கியங்களைக் கவனிக்கவும்.
प्रच्छ् மற்றும் नी இரண்டும் द्विकर्मकौ धातौ. முக்கியமாக 16 द्विकर्मकाः धातुवः உள்ளன, இப்படிவில் द्विकर्मकाः धातुवः பற்றிய குறிப்பையும் ஒரு சில உதாஹரணங்களை மாத்திரம் பார்த்தோம். இவ்விஷயத்தைப் பற்றி கூடுதலாக அடுத்த படிவில் கற்க இருக்கிறோம்.
द्वितीया विभक्तिः பாடத்தைக் காண கீழ்க் காணும் ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
द्वितीया विभक्तिः
तृतीया विभक्तिः முக்கியமாக கீழ்க் காணும் சந்தர்ப்பங்களில் பயன்படுத்தப் படுகிறது.
இப்பொழுது மூன்று லிங்கங்களிலும் நாம் அறிந்த அஜந்த ஶப்தங்களின் तृतीया வடிவங்களை பார்ப்போம்.
पुल्लिङ्गे तृतीयाविभक्ति-रूपाणि | |||
---|---|---|---|
अन्तः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
अकाराम्तः (राम) | रामेण | रामाभ्याम् | रामैः |
इकारान्तः (हरि) | हरिणा | हरिभ्याम् | हरिभिः |
उकारान्तः (गुरु) | गुरुणा | गुरुभ्याम् | गुरुभिः |
ऋकारान्तः (पितृ) | पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः |
स्त्रीलिङ्गे तृतीयाविभक्ति-रूपाणि | |||
आकारान्तः (रमा) | रमया | रमाभ्याम् | रमाभिः |
इकारान्तः (मति) | मत्या | मतिभ्याम् | मतिभिः |
ईकारान्तः (नदी) | नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः |
उकारान्तः (धेनु) | धेन्वा | धेनुभ्याम् | धेनुभिः |
ऊकारान्तः (वधू) | वध्वा | वधूभ्याम् | वधूभिः |
ऋकारान्तः (मातृ) | मात्रा | मातृभ्याम् | मातृभिः |
नपुंसके तृतीयाविभक्ति-रूपाणि | |||
अकारान्तः (फल) | फलेन | फलाभ्याम् | फलैः |
इकारान्तः (वारि) | वारिणा | वारिभ्याम् | वारिभिः |
तृतीयाविभक्तिः ரூபங்கள் सर्वनाम-शब्दाः.
सर्वनामशब्दानां तृतीयाविभक्ति-रूपाणि | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
एतद् (पुं) | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
एतद् (स्त्री) | एतया - एनया | एताभ्याम् | एताभिः |
एतद् (नपुं) | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
तद् (पुं) | तेन | ताभ्याम् | तैः |
तद् (स्त्री) | तया | ताभ्याम् | ताभिः |
तद् (नपुं) | तेन | ताभ्याम् | तैः |
किम् (पुं) | केन | काभ्याम् | कैः |
किम् (स्त्री) | कया | काभ्याम् | काभिः |
किम् (नपुं) | केन | काभ्याम् | कैः |
तृतीया विभक्तिः பாடத்தைக் காண கீழ்க் காணும் ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
तृतीया विभक्तिः
கீழ்க் காணும் சந்தர்ப்பங்களில் चतुर्थी विभक्तिः பயன்படுவதை நாம் பாடத்தில் பார்த்தோம்.
பரிச்சயமுள்ள அஜந்த ஶப்தங்களின் சதுர்த்தி வடிவங்களை பார்ப்போம்.
पुल्लिङ्गे चतुर्थीविभक्ति-रूपाणि | |||
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अन्तः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
अकाराम्तः (राम) | रामाय | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
इकारान्तः (हरि) | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
उकारान्तः (गुरु) | गुरवे | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
ऋकारान्तः (पितृ) | पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
स्त्रीलिङ्गे चतुर्थीविभक्ति-रूपाणि | |||
आकारान्तः (रमा) | रमायै | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
इकारान्तः (मति) | मत्यै - मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
ईकारान्तः (नदी) | नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
उकारान्तः (धेनु) | धेन्वै - धेनवे | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
ऊकारान्तः (वधू) | वध्वे | वधूभ्याम् | वधूभ्यः |
ऋकारान्तः (मातृ) | मात्रे | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
नपुंसके चतुर्थीविभक्ति-रूपाणि | |||
अकारान्तः (फल) | फलाय | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
इकारान्तः (वारि) | वारिणे | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களின் சதுர்த்தி வடிவங்கள்
सर्वनामशब्दानां चतुर्थीविभक्ति-रूपाणि | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
एतद् (पुं) | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
एतद् (स्त्री) | एतस्यै | एताभ्याम् | एताभ्यः |
एतद् (नपुं) | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
तद् (पुं) | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
तद् (स्त्री) | तस्यै | ताभ्याम् | ताभ्यः |
तद् (नपुं) | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
किम् (पुं) | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
किम् (स्त्री) | कस्यै | काभ्याम् | काभ्यः |
किम् (नपुं) | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
चतुर्थी विभक्तिः பாடத்தைக் காண கீழ்காணும் ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
चतुर्थी विभक्तिः
पञ्चमी विभक्तिः ஓரிடத்திலிருந்து விடுபடலை அல்லது காரணத்தை உணர்த்துகிறது. இவ்வகை ப்ரயோகம் பொதுவாக கீழ்க்காணும் சந்தர்ப்பங்களில் காணப்படுகின்றன.
நாம் அறிந்த अजन्ताः शब्दाः க்களின் पञ्चमी विभक्तिः வடிவங்களைப் பார்ப்போம்
पुल्लिङ्गे पञ्चमीविभक्ति-रूपाणि | |||
---|---|---|---|
अन्तः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
अकाराम्तः (राम) | रामात् | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
इकारान्तः (हरि) | हरेः | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
उकारान्तः (गुरु) | गुरोः | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
ऋकारान्तः (पितृ) | पितुः | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
स्त्रीलिङ्गे पञ्चमीविभक्ति-रूपाणि | |||
आकारान्तः (रमा) | रमायाः | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
इकारान्तः (मति) | मत्याः / मतेः | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
ईकारान्तः (नदी) | नद्याः | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
उकारान्तः (धेनु) | धेन्वाः / धेनोः | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
ऊकारान्तः (वधू) | वध्वाः | वधूभ्याम् | वधूभ्यः |
ऋकारान्तः (मातृ) | मातुः | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
नपुंसके पञ्चमीविभक्ति-रूपाणि | |||
अकारान्तः (फल) | फलात् | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
इकारान्तः (वारि) | वारिणः | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களின் पञ्चमी வடிவங்கள்
सर्वनामशब्दानां पञ्चमीविभक्ति-रूपाणि | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
एतद् (पुं) | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
एतद् (स्त्री) | एतस्याः | एताभ्याम् | एताभ्यः |
एतद् (नपुं) | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
तद् (पुं) | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
तद् (स्त्री) | तस्याः | ताभ्याम् | ताभ्यः |
तद् (नपुं) | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
किम् (पुं) | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
किम् (स्त्री) | कस्याः | काभ्याम् | काभ्यः |
किम् (नपुं) | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
पञ्चमी विभक्तिः பாடத்தை மீண்டும் படிக்க கீழ்க்காணும் ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
पञ्चमी विभक्तिः
இரண்டு நபர்கள் / பொருட்களிடையே உள்ள ஸம்பந்தத்தைக் (सम्बन्धः) காட்டும் षष्ठी विभक्तिः பெரிதும் பயன்படும் विभक्तिः. க்ரியா பதத்துடன் நோரிடையாக தெடர்பு கொள்ளாவிடினும் மற்ற அனைத்து விபக்தி ஶப்தங்களுடன் எளிதாக தொடர்பு கொள்கிறது. ‘உடைய’ மற்றும் ‘கு’ விகுதிகளுக்கு இணையாக षष्ठी विभक्तिः யின் செயல்பாடு அமைகிறது. கீழ்க்காணும் சந்தர்ப்பங்களில் षष्ठी विभक्तिः சம்பந்தத்தை உணர்த்துகிறது.
षष्ठी வடிவ மாதிரிகளைப் புரிந்துக் கொள்ள இதோ ஒரு சில षष्ठीविभक्ति-शब्दाः
पुल्लिङ्गे षष्ठीविभक्ति-रूपाणि | |||
---|---|---|---|
अन्तः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
अकाराम्तः (राम) | रामस्य | रामयोः | रामाणाम् |
इकारान्तः (हरि) | हरेः | हर्योः | हरीणाम् |
उकारान्तः (गुरु) | गुरोः | गुर्वोः | गुरूणाम् |
ऋकारान्तः (पितृ) | पितुः | पित्रोः | पितॄणाम् |
स्त्रीलिङ्गे षष्ठीविभक्ति-रूपाणि | |||
आकारान्तः (रमा) | रमायाः | रमयोः | रमाणाम् |
इकारान्तः (मति) | मत्याः / मतेः | मत्योः | मतीणाम् |
ईकारान्तः (नदी) | नद्याः | नद्योः | नदीनाम् |
उकारान्तः (धेनु) | धेन्वाः / धेनोः | धेन्वोः | धेनुनाम् |
ऊकारान्तः (वधू) | वध्वाः | वध्वोः | वधूनाम् |
ऋकारान्तः (मातृ) | मातुः | मात्रोः | मातॄणाम् |
नपुंसके षष्ठीविभक्ति-रूपाणि | |||
अकारान्तः (फल) | फलस्य | फलयोः | फलानाम् |
इकारान्तः (वारि) | वारिणः | वारिणोः | वारीणाम् |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களின் षष्ठी வடிவங்கள்
सर्वनामशब्दानां षष्ठीविभक्ति-रूपाणि | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
एतद् (पुं) | एतस्य | एतयोः-एनयोः | एतेषाम् |
एतद् (स्त्री) | एतस्याः | एतयोः-एनयोः | एतासाम् |
एतद् (नपुं) | एतस्य | एतयोः-एनयोः | एतेषाम् |
तद् (पुं) | तस्य | तयोः | तेषाम् |
तद् (स्त्री) | तस्याः | तयोः | तासाम् |
तद् (नपुं) | तस्य | तयोः | तेषाम् |
किम् (पुं) | कस्य | कयोः | केषाम् |
किम् (स्त्री) | कस्याः | कयोः | कासाम् |
किम् (नपुं) | कस्य | कयोः | केषाम् |
षष्ठी विभक्तिः க்குரிய நமது பாடத்தில் உறவுகள் (सम्बन्ध-नामानि) மற்றும் சுவைகளின் (रुचिनामानि) பெயர்களும் கொடுத்திருக்கிறோம். பாடத்திற்குரிய கீழ்க்காணும் ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
षष्ठी विभक्तिः
सप्तमी विभक्तिः பதங்கள் अधिकरणम् அதாவது செயலின் ஆதாரத்தை விளக்குகிறது. अधिकरणे सप्तमी विभक्तिः. பொதுவாக अधिकरणम् மூன்று வகைப்படுகிறது.
முடிவாக सप्तमीवीभक्ति-रूपाणि யின் Revision. பரிச்சயமான அஜந்த ஶப்தங்களின் ஸப்தமீ வடிவங்களைப் பார்ப்போம்.
पुल्लिङ्गे सप्तमीविभक्ति-रूपाणि | |||
---|---|---|---|
अन्तः | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
अकाराम्तः (राम) | रामे | रामयोः | रामेषु |
इकारान्तः (हरि) | हरौ | हर्योः | हरिषु |
उकारान्तः (गुरु) | गुरौ | गुर्वोः | गुरुषु |
ऋकारान्तः (पितृ) | पितरि | पित्रोः | पितृषु |
स्त्रीलिङ्गे सप्तमीविभक्ति-रूपाणि | |||
आकारान्तः (रमा) | रमायाम् | रमयोः | रमासु |
इकारान्तः (मति) | मत्याम् / मतौ | मत्योः | मतिषु |
ईकारान्तः (नदी) | नद्याम् | नद्योः | नदीषु |
उकारान्तः (धेनु) | धेन्वाम् / धेनौ | धेन्वोः | धेनुषु |
ऊकारान्तः (वधू) | वध्वाम् | वध्वोः | वधूषु |
ऋकारान्तः (मातृ) | मातरि | मात्रोः | मातृषु |
नपुंसके सप्तमीविभक्ति-रूपाणि | |||
अकारान्तः (फल) | फले | फलयोः | फलेषु |
इकारान्तः (वारि) | वारिणि | वारिणोः | वारिषु |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களீன் ஸப்தமீ வடிவங்கள்
सर्वनामशब्दानां सप्तमीविभक्ति-रूपाणि | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
एतद् (पुं) | एतस्मिन् | एतयोः-एनयोः | एतेषु |
एतद् (स्त्री) | एतस्याम् | एतयोः-एनयोः | एतासु |
एतद् (नपुं) | एतस्मिन् | एतयोः-एनयोः | एतेषु |
तद् (पुं) | तस्मिन् | तयोः | तेषु |
तद् (स्त्री) | तस्याम् | तयोः | तासु |
तद् (नपुं) | तस्मिन् | तयोः | तेषु |
किम् (पुं) | कस्मिन् | कयोः | केषु |
किम् (स्त्री) | कस्याम् | कयोः | कासु |
किम् (नपुं) | कस्मिन् | कयोः | केषु |
सप्तमी विभक्तिः பாடத்தை மீண்டும் காண, படிக்க கீழே தரப்பட்டுள்ள ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
सप्तमी विभक्तिः
காலம் அல்லது பாவ நிலையை உணர்த்த ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் க்ரியா பதங்கள் பாணினியினால் பத்து வகைகளாக வகுக்கப்பட்டுள்ளன. இவைகள் லகாரங்கள் (लकाराः) என அறியப்படுகின்றன. இப்படிவில் நாம் நான்கு लकाराः பற்றி அறிந்தோம்.
இப்பொழுது लकाराः வடிவங்களையும் பயன்பாட்டையும் பார்க்கலாம்.
தாதுவுடன் लट् लकाराः இணைந்து நிகழ்கால க்ரியா பதங்கள் பெறப்படுகின்றன. தொடக்க நிலையில் நாம் வடிவங்களில் காணப்படும் அமைப்பு ஒற்றுமையைக் கொண்டு ‘लट्’ க்ரியாபதங்களை அறியவும் எழுதவும் கற்றோம். முறையான வ்யாகரண படிகளைப் பற்றி கற்கவில்லை.. ஆயினும் மாதிரி சொற்களை மனதில் இருத்தி ஸம்ஸ்க்ருத வாக்கியங்களைப் படிக்கும்போது நம்மால் वर्तमानकाल-क्रियापदानि களை இடம் கண்டு கொண்டு பேச்சிலும் எழுத்திலும் பயன்படுத்த இயலும்.
धातवः त्रिविधाः। தாதுக்கள் அவை ஏற்கும் ப்ரத்யயத்தையொட்டி மூன்று வகைப்படுகின்றன. परस्मैपदी, आतमनेपदी மற்றும் उभयपदी.
மூன்று வகை தாதுக்களிலும் இப்படிவில் முக்கியமாக परस्मैपदी க்ரியாபதங்களையே கண்டோம்.परस्मैपद முடிவுகள் கீழேக் கொடுக்கப்பட்டுள்ளன.
लटि परस्मैपदप्रत्ययान्ताः – நிகழ்கால விகுதிகள் | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | ति | तः | अन्ति |
मद्यमपुरुषः | सि | थः | थ |
उत्तमपुरुषः | मि | वः | मः |
சாதாரண வர்த்தமான கால வினை வடிவங்களுடைய தாதுக்களின் लट्-लकार க்ரியாபதங்கள் கீழேக் கொடுக்கப்பட்டுள்ளன.
धातूनां सामान्य लट्-क्रियारूपाणि (परस्मैपदी) | |||
---|---|---|---|
‘भू’ (भव्) धातुः (to be) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | भवति | भवतः | भवन्ति |
मद्यमपरुषः | भवसि | भवथः | भवथ |
उत्तमपुरुषः | भवामि | भवावः | भवामः |
‘गम्’ (गच्छ्) धातुः (to go) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | गच्छति | गच्छतः | गच्छन्ति |
मद्यमपरुषः | गच्छसि | गच्छथः | गच्छथ |
उत्तमपुरुषः | गच्छामि | गच्छावः | गच्छामः |
‘लिख्’ धातुः (to write) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | लिखति | लिखतः | लिखन्ति |
मद्यमपरुषः | लिखसि | लिखथः | लिखथ |
उत्तमपुरुषः | लिखामि | लिखावः | लिखामः |
‘पठ्’ धातुः (to read) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | पठति | पठतः | पठन्ति |
मद्यमपरुषः | पठसि | पठथः | पठथ |
उत्तमपुरुषः | पठामि | पठावः | पठामः |
‘हस्’ धातुः (to laugh) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | हसति | हसतः | हसन्ति |
मद्यमपरुषः | हससि | हसथः | हसथ |
उत्तमपुरुषः | हसामि | हसावः | हसामः |
‘धाव्’ धातुः (to run) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | धावति | धावतः | धावन्ति |
मद्यमपरुषः | धावसि | धावथः | धावथ |
उत्तमपुरुषः | धावामि | धावावः | धावामः |
‘रक्ष्’ धातुः (to protect) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | रक्षति | रक्षतः | रक्षन्ति |
मद्यमपरुषः | रक्षसि | रक्षथः | रक्षथ |
उत्तमपुरुषः | रक्षामि | रक्षावः | रक्षामः |
‘क्रीड्’ धातुः (to play) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | क्रीडति | क्रीडतः | क्रीडन्ति |
मद्यमपरुषः | क्रीडसि | क्रीडथः | क्रीडथ |
उत्तमपुरुषः | क्रीडामि | क्रीडावः | क्रीडामः |
‘वद्’ धातुः (to speak) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | वदति | वदतः | वदन्ति |
मद्यमपरुषः | वदसि | वदथः | वदथ |
उत्तमपुरुषः | वदामि | वदावः | वदामः |
சில தாதுக்கள் சாமானிய முறையிலிருந்து மாறிய க்ரியா வடிவங்களைக் கொண்டுள்ளன. விஶேஷ க்ர்யாவடிவங்களுடைய தூதுக்களுக்குரிய ‘Link’ தாதுக்களின் பெயருடன் கொடுக்கப்பட்டுள்ளது. ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்து தாதக்களின் ‘लट्’ வடிவங்களைக் காணலாம்.
தாதுக்களின் आत्मनेपदी முடிவுகளையும் நாம் கற்றோம். आत्मनेपदी-लट् வடிவங்களையும், ஒரு சில உதாஹபணங்களையும் மட்டுமே பாடத்தில் பார்த்தோம். आत्मनेपदिनः மற்றும் उभयपदिनः धातवः குறித்து விரிவாக தொடலும் படிவில் கற்க இருக்கிறோம். இப்படிவில் आत्मनेपदिनः धातवः குறித்த பாடத்தை மீண்டும் படிக்க கீழே தரப்பட்டள்ள ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
आत्मनेपदिनः and उभयपदिनः धातवः
लट् लकारः சம்பந்தப்பட்ட விஷயங்கள் ஒரு சில பாடங்களில் பரவியுள்ளன. लट् लकारः குறித்த அனைத்து பாடங்களுக்கும் ‘Link’ தரப்பட்டுள்ளன.
தூண்டுதலைக் குறிக்கும் வினைச்சொற்கள் ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் வினைதாதுவுடன் ‘णिच्’ என்ற ப்ரத்யயம் (Suffix) இணைந்து உருவாகின்றன. णिजन्त-क्रियापदानीவடிவில் செயலை நேரடியாகக் குறிக்கும் க்ரியா வடிவங்களிலிருந்து வேறுபடுகிற்ன்றன.
उदाहरणम्:
छात्रः पाठं पठति – பாலகன் பாடம் படிக்கிறான் – நேரடி செயல்
अध्यापकः पाठं पाठयति – Teacher teaches the lesson – ஆசிரியர் பாடம் கற்பிக்கிறார். – தூண்டும் செயல் (மாணவர்கள் கற்க உதவுதல்)
आत्मनेपदी தாதுக்களின் ’णिजन्त’ வடிவங்கள் परस्मैपदी முடிவுகளையே ஏற்கின்றன.
उदाहरणम् – वर्धते க்ரியாபதத்தின் णिचन्त வடிவம் वर्धयति.
கீழ்க்காணும் णिजन्त-क्रियापदानि பாடத்தின் ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்து மீண்டும் ஒரு முறை படிக்கலாம்.
णिजन्त-क्रियापदानि
लोट् लकारः ஆணை/தூண்டுதல்/வேண்டுதலை (आज्ञा/प्रार्थना) உணர்த்துகின்றது. ஆங்கிலத்தில் ‘May’ அல்லது ‘Let’ சேர்ந்த ‘Verb’ களுக்கு இணையாக ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் लोट्-क्रियारूपाणी செயலாற்றுகின்றன.
उदाहरणम् – पुत्र उत्तिष्ठ!
सर्वे उपविशन्तु!
ஸாமானிய க்ரியா வடிவங்களை ஏற்கும் தாதுக்களின் ‘लोट्’ மற்றும் ‘लोटि क्रियारूपाणि’ ஆகியவற்றைப் பார்ப்போம்.
लोट्-परस्मैपदप्रत्ययान्ताः – Imperative case Endings | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | तु | ताम् | अन्तु |
मद्यमपुरुषः | - | तम् | त |
उत्तमपुरुषः | आनि | आव | आम |
धातूनां सामान्य लोट्-क्रियारूपाणि (परस्मैपदी) | |||
---|---|---|---|
‘भू’ (भव्) धातुः (to be) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | भवतु | भवताम् | भवन्तु |
मद्यमपरुषः | भव | भवतम् | भवत |
उत्तमपुरुषः | भवानि | भवाव | भवाम |
‘गम्’ (गच्छ्) धातुः (to go) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | गच्छतु | गच्छताम् | गच्छन्तु |
मद्यमपरुषः | गच्छ | गच्छतम् | गच्छत |
उत्तमपुरुषः | गच्छानि | गच्छाव | गच्छाम |
‘लिख्’ धातुः (to write) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | लिखतु | लिखताम् | लिखन्तु |
मद्यमपरुषः | लिख | लिखतम् | लिखत |
उत्तमपुरुषः | लिखानि | लिखाव | लिखाम |
‘पठ्’ धातुः (to read) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | पठतु | पठताम् | पठन्तु |
मद्यमपरुषः | पठ | पठतम् | पठत |
उत्तमपुरुषः | पठानि | पठाव | पठाम |
‘हस्’ धातुः (to laugh) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | हसतु | हसताम् | हसन्तु |
मद्यमपरुषः | हस | हसतम् | हसत |
उत्तमपुरुषः | हसानि | हसाव | हसाम |
‘धाव्’ धातुः (to run) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | धावतु | धावताम् | धावन्तु |
मद्यमपरुषः | धाव | धावतम् | धावत |
उत्तमपुरुषः | धावानि | धावाव | धावाम |
‘रक्ष्’ धातुः (to protect) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | रक्षतु | रक्षताम् | रक्षन्तु |
मद्यमपरुषः | रक्ष | रक्षतम् | रक्षत |
उत्तमपुरुषः | रक्षानि | रक्षाव | रक्षाम |
‘क्रीड्’ धातुः (to play) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | क्रीडतु | क्रीडताम् | क्रीडन्तु |
मद्यमपरुषः | क्रीड | क्रीडतम् | क्रीडत |
उत्तमपुरुषः | क्रीडानि | क्रीडाव | क्रीडाम |
‘वद्’ धातुः (to speak) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | वदतु | वदताम् | वदन्तु |
मद्यमपरुषः | वद | वदतम् | वदत |
उत्तमपुरुषः | वदानि | वदाव | वदाम |
விஶேஷ लोट् வடிவங்களுடைய தாதுக்களின் வடிவங்களைக் காண கீழே தரப்பட்டுள்ள ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
‘लोट् लकारः’ பாடத்தை மீண்டும் காண கீழேக் கொடுக்கப்பட்டுள்ள ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
लोट् लकारः
उपसर्गाः தாதுக்களின் முன் இணைந்து புதிய தாதுக்களை உருவாக்கும் முன் உருபுகள் ஆகும். उपसर्गाः மூன்று வகைகளில் தாதுக்களின் பொருளை பாதிக்கின்றன. சில இடங்களில் உபஸர்கங்கள் தாதுவின் பொருளை மாற்றுகின்றன. வேறு சில இடங்களில் தாதுவின் இயல்பான பொருளையே காட்டுகின்றன. மற்றும் சில இடங்களில் தாதுவின் பொருளை மேலும் சிறப்பித்து காட்டுகின்றன.
उपसर्गः धातोः पूर्वं भवति।
உபஸர்கங்களின் செயல்பாடுகளை விளக்கும் ஶ்லோகத்தை கீழே பார்க்கிறோம்.
उपसर्गाः பாடத்தை மீண்டும் படிக்க ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
उपसर्गाः
தாதுக்களுடன் (धातवः) ‘लङ् लकारः’ இணைந்து பூதகால க்ரியா பதங்கள் உருவாகின்றன.
பாணினி ஸூத்ரம் ‘अनद्यतने लङ्’ படி தாதுவுடன் लङ्-लकारः இணந்து இன்று நடக்காத கடந்த கால க்ரியையைக் காட்டுகிறது. ஆனால் ஸம்ஸ்க்ருதம் கற்கும் ஆரம்ப நிலையில் பொதுவாக பூதகால செயலைக் குறிக்க लङ् வடிவங்கள் பயன்படுத்தப் படுகின்றன.
उदाहरणम् – रामः वनम् अगच्छत्।
ह्यः शनिवासरः आसीत्।
இப்பொழுது முன் எழுத்து ‘अ’ உடன் இணைந்து भूतकाल-क्रियारदानि களை உருவாக்கும் लङ् விகுதிகளைக் காணலாம்
लङि परस्मैपदप्रत्ययान्ताः – இறந்த கால விகுதிகள் | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अ + ___ + त् | अ + ___ + ताम् | अ + ___ + अन् |
मद्यमपुरुषः | अ + ___ + ः | अ + ___ + तम् | अ + ___ + त |
उत्तमपुरुषः | अ + ___ + अम् | अ + ___ + आव | अ + ___ + आम |
மேற்கண்ட விதிப்படி அமையும் ஸாமானிய लङ् வடிவங்களை பார்ப்போம்.
धातूनां सामान्य लङि-क्रियारूपाणि (परस्मैपदी) | |||
---|---|---|---|
‘भू’ (भव्) धातुः (to be) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अभवत् | अभवताम् | अभवन् |
मद्यमपरुषः | अभवः | अभवतम् | अभवत |
उत्तमपुरुषः | अभवम् | अभवाव | अभवाम |
‘गम्’ (गच्छ्) धातुः (to go) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अगच्छत् | अगच्छताम् | अगच्छन् |
मद्यमपरुषः | अगच्छः | अगच्छतम् | अगच्छत |
उत्तमपुरुषः | अगच्छम् | अगच्छाव | अगच्छाम |
‘लिख्’ धातुः (to write) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अलिखत् | अलिखताम् | अलिखन् |
मद्यमपरुषः | अलिखः | अलिखतम् | अलिखत |
उत्तमपुरुषः | अलिखम् | अलिखाव | अलिखाम |
‘पठ्’ धातुः (to read) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अपठत् | अपठताम् | अपठन् |
मद्यमपरुषः | अपठः | अपठतम् | अपठत |
उत्तमपुरुषः | अपठम् | अपठाव | अपठाम |
‘हस्’ धातुः (to laugh) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अहसत् | अहसताम् | अहसन् |
मद्यमपरुषः | अहसः | अहसतम् | अहसत |
उत्तमपुरुषः | अहसम् | अहसाव | अहसाम |
‘धाव्’ धातुः (to run) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अधावत् | अधावताम् | अधावन् |
मद्यमपरुषः | अधावः | अधावतम् | अधावत |
उत्तमपुरुषः | अधावम् | अधावाव | अधावाम |
‘रक्ष्’ धातुः (to protect) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अरक्षत् | अरक्षताम् | अरक्षन् |
मद्यमपरुषः | अरक्षः | अरक्षतम् | अरक्षत |
उत्तमपुरुषः | अरक्षम् | अरक्षाव | अरक्षाम |
‘क्रीड्’ धातुः (to play) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अक्रीडत् | अक्रीडताम् | अक्रीडन् |
मद्यमपरुषः | अक्रीडः | अक्रीडतम् | अक्रीडत |
उत्तमपुरुषः | अक्रीडम् | अक्रीडाव | अक्रीडाम |
‘वद्’ धातुः (to speak) | |||
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुषः | अवदत् | अवदताम् | अवदन् |
मद्यमपरुषः | अवदः | अवदतम् | अवदत |
उत्तमपुरुषः | अवदम् | अवदाव | अवदाम |
விஶேஷ ‘लङ्’ அமைப்புள்ள தாதுக்களுக்களின் பூதகால வடிவங்களுக்கான ‘Links’ கீழே தரப்பட்டுள்ளன.
உங்கள் பார்வைக்காக लङ् लकारः குறித்த இரு பாடங்களுக்கான ‘Links’ கீழே தரப்பட்டுள்ளன.
भूतकाले लङ् १
भूतकाले लङ् २
ஸம்ஸ்க்ருத பதங்கள் பொதுவாக धातुः மற்றும் प्रत्ययाः இணைந்து உருவாகின்றன. ‘कृत्-प्रत्ययाः’ என்ற ப்ரத்யயங்களின் குழு தாதுக்களுடன் இங்ஙனம் இணையும் ப்ரத்யயங்களை அடக்கியுள்ளது. धातुः , कृत्-प्रत्ययः இணைவினால் உருவாகும் பதங்கள் பொதுவாக ‘कृदन्ताः’ என்று அறியப்படுகின்றன.
தாதுவுடன் இணைந்து प्रातिपदिकम् (Base noun) உருவாக்கும் ‘क्तवतु’ அத்தகைய ஒரு कृत्-प्रतययः .
उदाहरणम् – गम् + क्तवत् → गतवत् (प्रातिपदिकम्)
‘गतनत्’ மீண்டும் ‘सुप् – प्रतययः’ இணைந்து மூன்று லிங்கங்களிலும் வசனங்களிலும் செயலைக் குறிக்கும் கீழ் கண்ட நாம்பதங்கள் பெறப்படுகின்றன.
गतवत् (प्रातिपदिकम्) | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
पुल्लिङ्गे | गतवान् | गतवन्तौ | गतवन्तः |
स्त्रीलिङ्गे | गतवती | गतवत्यौ | गतवत्यः |
नपुंसके | गतवत् | गतवती | गतवन्ती |
இப்பதங்கள் இறந்தகால செயலை உணர்த்துவதால் ‘लङ्-लकारः’ பயன்படும் இடங்களில் பூதகால செயலை உணர்த்தும் சுலப ப்ரயோகமாக பயன்படுத்தலாம்.
उदाहरणम्:
रमेशः गृहं गतवान्। – ரமேஶ் வீட்டிற்கு சென்றான்.
सीता गृहं गतवती। – சீதா வீட்டிற்கு சென்றாள்.
क्तवतु-प्रयोगाः भूतकाल-क्रियाः सूचयन्ति। துவக்க நிலையில் கற்பவர்களுக்கு लङ् लकारः த்திற்கு பதிலாக क्तवतु प्रयोगः எளிதாக அமைகிறது.
கீழேக் காணும் ‘क्तवतु-प्रयोगः’ பாடத்திற்கான ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்து பாடத்தை ‘Revise’ செய்யலாம்.
क्तवतु-प्रयोगः
‘स्म’ என்ற சொல் நிகழ்கால (लट्) வினைச் சொல்லுடன் இணையும்பொழுது கடந்த கால தொடர் அல்லது வழக்கமான செயல் உணர்த்தப்படுகிறது.
उदाहरणम् – अहं दूरदर्शनं पश्यामि स्म। (நான் டெலிவிஷன் பார்த்துக் கொண்டிருந்தேன்.)
‘स्म - प्रयोगः’ பாடத்தை Revise செய்ய கீழ்க் காணும் ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
स्म – प्रयोगः
ऌट् लकारः தாதுவுடன் இணைந்து அத்தாதுவுக்கான எதிர்கால க்ரியா பதங்களை அளிக்கிறது. கால மற்றும் மனோபாவத்தை உணர்த்தும் பத்து लकाराः, सार्वधातुक लकाराः மற்றும் आर्धधातुक लकाराः என இருவகைப் படுகின்றன. நாம் கற்ற लट्, लोट्, लङ् என்பவை सार्वधातुक लकाराः. இவற்றிற்கான பொது முடிவுகளைக் காட்டி பின் விஶேஷ க்ரியா வடிவங்களைக் காட்ட இயலும். ऌट् लकारः, आर्धधातुकः ஆவதினால் ஸாமான்ய प्रत्ययान्ताः ஐ பட்டியல் இட இயலாது..
भविष्यद्-कालः(எதிர்கால) க்ரியா பதங்களுக்கான நமது பாடத்தில் உருவ ஒற்றுமையுள்ள எதிர்கால வடிவங்களை ஒன்று படுத்தி பட்டியல் அமைத்திருக்கிறோம். கீழே தரப்பட்டுள்ள ऌट् लकारः பாடத்தின் ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்து பாட விஷயத்தை Revise செய்யவும்.
ऌट् लकारः
क्त्वा-प्रत्ययाः தாதுக்களுடன் இணைந்து அவ்யய (अव्ययम्) வடிவங்களை அளிக்கின்றன. வாக்கியத்தில் ஒரே கர்த்தா செய்யும் இரு செயல்கள் இடம் பெறும்பொழுது, क्त्वान्तः முதல் செயலைக் (पूर्वकालिका क्रिया) குறிக்கிறது.
उदाहरणम् – गम् + क्त्वा → गत्वा
माता मन्दिरं गत्वा देवं नमति।
தாது உபஸர்கத்துடன் இணைந்து இருக்கும் பொழுது பூர்வகால க்ரியையை உணர்த்த ‘क्तवा’ விற்கு பதிலாக ‘ल्यप्-प्रत्ययः’ சேர்க்கப்படுகிறது.
उदाहरणम् –
सीता रामम् अनुसृत्वा वनं गच्छति।
सीता रामम् अनुसृत्य वनं गच्छति।
‘क्तवा’ மற்றும் ‘ल्यप्’ விகுதிகளுக்கான பாடத்தை Revise செய்ய ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
क्त्वा/ल्यप्-प्रत्ययान्तस्य प्रयोगः
‘क्तवा-प्त्ययः’ போலவே தாதுவுடன் ‘तुमुन्-प्रत्ययः’ இணையும் பொழுதும் அவ்யய பதங்களே (अव्ययम्) பெறப்படுகின்றன. तुमुनन्ताः பொதுவாக முக்கிய செயலின் உத்தேசத்தை (क्रियार्था क्रिया) காட்டுகிறது. ‘इच्छति’, ‘जानाति’, ‘शक्नोति’ மற்றும் ‘अर्हति’ போன்ற க்ரியா பதங்களுடனும் तुमुनान्ताः இடம் பொறுகின்றன.
उदाहरणानि:
‘तुमुन्-प्रयोगः’ பாடத்திற்கான ‘Link’ கீழே தரப்பட்டுள்ளது.
तुमुन्-प्रयोगः
ஸம்ஸ்க்ருத அவ்யய பதங்கள் ‘सुप्’ प्रत्ययः’ தள்ளப்படுவதால் உருவாகும் ‘सुबन्तपदानि’. அவை அனைத்து விபக்தி, லிங்க வசனங்களிலும் மாறாமல் ஒரே வடிவத்துடன் இருக்கின்றன.
अव्ययानि பாடத்தின் ‘Link’ கீழே தரக்கட்டுள்ளது. பாடத்தை மீண்டும் படித்து Revise செய்ய ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
अव्ययायनि
இப்படிவின் இறுதிப் பாடம் எண்ணிக்கையைக் குறிக்கும் सङ्ख्या-वाचकाः सङ्ख्येय-वाचकाः च. பொருள்களின் எண்ணிக்கை அடைமொழியாய் सङ्ख्या-वाचकाः பொதுவாக லிங்கம், வசனம் அனுஸரித்து மாறுவதில்லை. வரிசைப்படுத்த பயன்படும் सङ्ख्येय-वाचकाः பற்றியும் இப்பாடத்தில் விவரமாக கற்கிறோம். பாடத்தை மீண்டும் படிக்க கீழே தரப்பட்டுள்ள ‘Link’ ஐ ‘Click’ செய்யவும்.
सङ्ख्या - किञ्चित् अधिकं पठनम्
இப்பாடத்தைப் பற்றிய உங்கள் அனுபவங்களையும் பரிந்துரைகளையும் எங்களுடன் பகிர்ந்துக் கொள்ளுங்கள். இலவசமாகப் பதிவுச் செய்து உங்கள் கருத்துக்களை Post செய்யவும். சந்தேகங்கள் தெளிவு பெற samskrit@samskritaveethy.com க்கு எழுதுங்கள்.
இப்படிவில் கற்ற அடைத்து விஷயத்தையும் உள்ளடக்கிய இப்பாடம் நீளமானதுதான். அடுத்தப் பாடம் அனைத்துப் பாடங்களின் பயிற்சிகளைக் கொண்டுள்ளது. படிவின் கடைசி பாடம்........
பாடம் 27: ஸம்ஸ்க்ருத நாம க்ரியா பதங்கள் Revision Excercises -पुनस्मारणाभ्यासः
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