The goal of this lesson is to learn ….. |
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Please click the heading to view the Sambashana video chosen for this lesson. The video is useful as,
Here are the English meanings for some new Shabdhas.
In our earlier lessons we learned about the Vibhkthi equivalents of prepositions by, with and for. Preposition ‘from’ which conveys an ablative sense (Separation) can be paired with पञ्चमी विभक्तिः. Please look at the pictures given below and the sentences formed for each scenario.
कर्तृपदम् | कुतः | क्रियापदम् |
---|---|---|
बालकः विद्यालयात् आगच्छति। | ||
कर्तृपदम् | कुतः | क्रियापदम् |
फलं वृक्षात् पतति। | ||
कर्तृपदम् | कुतः | क्रियापदम् |
महिला पाकशालायाः आगच्छति। | ||
Words highlighted in yellow are in Panchami Vibhakthi and it can be related to prepositions ‘from or since’ in English. In this lesson we propose to learn पञ्चमी विभक्तिः forms and its use in the following instances.
First, we learn the पञ्चमी forms of different Endings in three Genders.
पञ्चमी विभक्तिः forms for our known अजन्तशब्दाः are highlighted and placed along with other known four विभक्तिः forms in tables. You may click the table headings to view all eight Vibhakthi forms of the Shabdha.
अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘रामः’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रामः | रामौ | रामाः |
सं.प्रथमा | हे राम | हे रामौ | हे रामाः |
द्वितीया | रामम् | रामौ | रामान् |
तृतीया | रामेण | रामाभ्याम् | रामैः |
चतुर्थी | रामाय | रामाभ्याम् | रामेभ्य |
पञ्चमी | रामात् | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
इकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘हरिः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | हरिः | हरी | हरयः |
सं.प्रथमा | हे हरे | हे हरी | हे हरयः |
द्वितीया | हरिम् | हरी | हरीन् |
तृतीया | हरिणा | हरिभ्याम् | हरिभिः |
चतुर्थी | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
पञ्चमी | हरेः | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
उकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘गुरुः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | गुरुः | गुरौ | गुरवः |
सं.प्रथमा | हे गुरो | हे गुरौ | हे गुरवः |
द्वितीया | गुरुम् | गुरौ | गुरून् |
तृतीया | गुरुणा | गुरुभ्याम् | गुरुभिः |
चतुर्थी | गुरवे | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
पञ्चमी | गुरोः | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘दातृ’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दाता | दातारौ | दातारः |
सं.प्रथमा | हे दातः | हे दातारौ | हे दातारः |
द्वितीया | दातारम् | दातारौ | दातॄन् |
तृतीया | दात्रा | दातृभ्याम् | दातृभिः |
चतुर्थी | दात्रे | दातृभ्याम् | दातृभ्यः |
पञ्चमी | दातुः | दातृभ्याम् | दातृभ्यः |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘पितृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | पिता | पितरौ | पितरः |
सं.प्रथमा | हे पितः | हे पितरौ | हे पितरः |
द्वितीया | पितरम् | पितरौ | पितॄन् |
तृतीया | पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः |
चतुर्थी | पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्य |
पञ्चमी | पितुः | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘रमा’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रमा | रमे | रमाः |
सं.प्रथमा | हे रमे | हे रमे | हे रमाः |
द्वितीया | रमाम् | रमे | रमाः |
तृतीया | रमया | रमाभ्याम् | रमाभिः |
चतुर्थी | रमायै | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
पञ्चमी | रमायाः | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
इकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मति’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मतिः | मती | मतयः |
सं.प्रथमा | हे मते | हे मती | हे मतयः |
द्वितीया | मतिम् | मती | मतीः |
तृतीया | मत्या | मतिभ्याम् | मतिभिः |
चतुर्थी | मत्यै-मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
पञ्चमी | मत्याः-मतेः | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘नदी’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | नदी | नद्यौ | नद्यः |
सं.प्रथमा | हे नदि | हे नद्यौ | हे नद्यः |
द्वितीया | नदीम् | नद्यौ | नदीः |
तृतीया | नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः |
चतुर्थी | नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
पञ्चमी | नद्याः | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
उकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘धेनु’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | धेनुः | धेनू | धेनवः |
सं.प्रथमा | हे धेनो | हे धेनू | हे धेनवः |
द्वितीया | धेनुम् | धेनू | धेनूः |
तृतीया | धेन्वा | धेनुभ्याम् | धेनुभिः |
चतुर्थी | धेन्वै - धेनवे | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
पञ्चमी | धेन्वाः - धेनोः | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
ऋकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मातृ’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | माता | मातरौ | मातरः |
सं.प्रथमा | हे मातः | हे मातरौ | हे मातरः |
द्वितीया | मातरम् | मातरौ | मातॄन् |
तृतीया | मात्रा | मातृभ्याम् | मातृभिः |
चतुर्थी | मात्रे | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
पञ्चमी | मातुः | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘फल’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | फलम् | फले | फलानि |
सं.प्रथमा | हे फल | हे फले | हे फलानि |
द्वितीया | फलम् | फले | फलानि |
तृतीया | फलेन | फलाभ्याम् | फलैः |
चतुर्थी | फलाय | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
पञ्चमी | फलात् | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘वारि’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | वारि | वारिणी | वारीणि |
सं.प्रथमा | हे वारे – हे वारि | हे वारिणी | हे वारीणि |
द्वितीया | वारि | वारिणी | वारीणि |
तृतीया | वारिणा | वारिभ्याम् | वारिभिः |
चतुर्थी | वारिणे | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
पञ्चमी | वारिणः | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘दधि’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दधि | दधिनी | दधीनि |
सं.प्रथमा | हे दधे – हे दधि | हे दधिनी | हे दधीनि |
द्वितीया | दधि | दधिनी | दधीनि |
तृतीया | दध्ना | दधिभ्याम् | दधिभिः |
चतुर्थी | दध्ने | दधिभ्याम् | दधिभ्यः |
पञ्चमी | दध्नः | दधिभ्याम् | दधिभ्यः |
उकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘मधु’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मधु | मधुनी | मधूनि |
सं.प्रथमा | हे मधो – हे मधु | हे मधुनी | हे मधूनि |
द्वितीया | मधु | मधुनी | मधूनि |
तृतीया | मधुना | मधुभ्याम् | मधुभिः |
चतुर्थी | मधुने | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
पञ्चमी | मधुनः | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
Let us also learn the पञ्चमी विभक्तिः forms of सर्वनामशब्दाः
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषः | एतौ | एते |
द्वितीया | एतम् - एनम् | एतौ | एतान् - एनान् |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
पञ्चमी | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषा | एते | एताः |
द्वितीया | एताम् - एनाम् | एते | एताः - एनाः |
तृतीया | एतया - एनया | एताभ्याम् | एताभिः |
चतुर्थी | एतस्यै | एताभ्याम् | एताभ्यः |
पञ्चमी | एतस्याः | एताभ्याम् | एताभ्यः |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एतत्त् | एते | एतानि |
द्वितीया | एतत् - एनत् | एते | एतानि - एनानि |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
पञ्चमी | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सः | तौ | ते |
द्वितीया | तम् | तौ | तान् |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
पञ्चमी | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सा | ते | ताः |
द्वितीया | ताम् | ते | ताः |
तृतीया | तया | ताभ्याम् | ताभिः |
चतुर्थी | तस्यै | ताभ्याम् | ताभ्यः |
पञ्चमी | तस्याः | ताभ्याम् | ताभ्यः |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | तत् | ते | तानि |
द्वितीया | तत् | ते | तानि |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
पञ्चमी | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
मकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | कः | कौ | के |
द्वितीया | कम् | कौ | कान् |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
पञ्चमी | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
मकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | का | के | काः |
द्वितीया | काम् | के | काः |
तृतीया | कया | काभ्याम् | काभिः |
चतुर्थी | कस्यै | काभ्याम् | काभ्यः |
पञ्चमी | कस्याः | काभ्याम् | काभ्यः |
मकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | किम् | के | कानि |
द्वितीया | किम् | के | कानि |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
पञ्चमी | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
For any noun or pronoun in any Linga, तृतीया, चतुर्थी and पञ्चमी forms are same in द्विवचनम् and चतुर्थी and पञ्चमी forms are same in बहुवचनम्.
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘भवत्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | भवान् | भवन्तौ | भवन्तः |
द्वितीया | भवन्तम् | भवन्तौ | भवतः |
तृतीया | भवता | भवद्भ्याम् | भवद्भिः |
चतुर्थी | भवते | भवद्भ्याम् | भवद्भ्यः |
पञ्चमी | भवतः | भवद्भ्याम् | भवद्भ्यः |
दकारान्तः ‘अस्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | अहम् | आवाम् | वयम् |
द्वितीया | माम् - मा | आवाम् - नौ | अस्मान् - नः |
तृतीया | मया | आवाभ्याम् | अस्माभिः |
चतुर्थी | मह्यम् - मे | आवाभ्याम् - नौ | अस्मभ्यम् - नः |
पञ्चमी | मत् | आवाभ्याम् | अस्मत् |
दकारान्तः ‘युष्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | त्वम् | युवाम् | यूयम् |
द्वितीया | त्वाम् - त्वा | युवाम् - वाम् | युष्मान् - वः |
तृतीया | त्वया | युवाभ्याम् | युष्माभिः |
चतुर्थी | तुभ्यम् - ते | युवाभ्याम् - वाम् | युष्मभ्यम् - वः |
पञ्चमी | त्वत् | युवाभ्याम् | युष्मत् |
For ‘अस्मद्’ and ‘युष्मद्’, चतुर्थी and पञ्चमी बहुवचनम् forms are different.
When something or someone is leaving from somewhere, the point of separation is indicated using पञ्चमी-विभक्तिः. Let us look at the examples given earlier.
Let us look at more examples and understand the use of पञ्चमी विभक्तिः.
वृष्टिजलम् आकाशात् पतति। | Rain (Water) falls from the Sky. |
जनाः ग्रामेभ्यः नगरम् आगच्छन्ति। | People come to town from villages. |
गङ्गा हिमालयात् प्रवहति। | Ganga flows from Himalayas. |
मम मित्राणि भोजनशालायाः आगच्छन्ति। | My friends are coming from Dining Hall. |
Another way for fixing the Panchami ending is by asking the question “Where from? Or Whom from?” (कस्मात्/कस्याः). The answer to this type questions takes in पञ्चमी forms. This approach helps us to understand the use of पञ्चमी-विभक्तिः on a wide range of instances. Following examples explain clearly the usage.
गृहिणी नद्याः जलम् आनयति। Housemaker brings water from the river. | गृहिणी कस्याः जलम् आनयति? गृहिणी नद्याः जलम् आनयति। | नद्याः ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘नदी’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
छात्रः लोकयानात् अवतरति। Student is getting down from the bus. | छात्रः कस्मात् अवतरति? छात्रः लोकयानात् अवतरति। | लोकयानात् – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘लोकयानम्’ शब्दः - एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
शङ्करः वित्तकोषात् धनं गृहीतवान्। Shankar drew money from the bank. | शङ्करः कस्मात् धनं गृहीतवान्? शङ्करः वित्तकोषात् धनं गृहीचवान्। | वित्तकोषात् – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘वित्तकोषः’ शब्दः - एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
जनाः धेनुभ्यः क्षीरं प्राप्नुवन्ति। People get milk from cows. | जनाः केभ्यः क्षीरं प्राप्नुवन्ति? जनाः धेनुभ्यः क्षीरं प्राप्नुवन्ति। | धेनुभ्यः – उकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘धेनु’ शब्दः – बहुवचनम् - पञ्चमी विभक्तिः |
अर्जुनः पशुपतेः पाशुपतास्त्रं प्राप्तवान्। Arjuna received Pasupathastra (Weapon) from Lord Pasupathi (Siva). | अर्जुनः कस्मात् पाशुपतास्त्रं प्राप्तवान्? अर्जुनः पशुपतेः पाशुपतास्त्रं प्राप्तवान्। | पशुपतेः – इकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘पशुपतिः’ शब्दः – एकवचनम् - पञ्चमी विभक्तिः |
We have seen in some of our earlier Sambashana Videos ‘तः’ ending to the base noun forms (प्रातिपदिकम्) gives the sense of ‘from’. ‘तः’ Endings provide an easy way out for expressing पञ्चमी sense. For example,
नागेशः कस्मात् आगतवान्?
नागेशः बङ्गलूरु-नगरात् आगतवान्।
The same can be expressed by adding ‘तः’ to बङ्गलूरु.
नागेशः कुतः आगतवान्?
नागेशः बङ्गलूरुतः आगतवान्।
Note in this case, the question word कस्मात् is replaced by the Avyaya कुतः.
Appending ‘तः’ to the प्रातिपदिकम् provides the sense of पञ्चमी विभक्तिः (from) in a sentence. ‘तः’ is the resulting form of appending Pratyaya तसिल् or तस्.
Let us add few more examples to show the ease of ‘तः' endings.
पञ्चमी विभक्तिः | तः- योजने | |
---|---|---|
श्वः मन्त्री विदेशात् आगमिष्यति। श्वः मन्त्री कस्मात् आगमिष्यति? | श्वः मन्त्री विदेशतः आगमिष्यति। श्वः मन्त्री कुतः आगमिष्यति? | Minister will be coming from abroad tomorrow. |
मातुलः काश्याः गङ्गाजलम् आनीतवान्। मातुलः कस्याः गङ्गाजलम् आनीतवान्। | मातुलः काशीतः गङ्गाजलम् आनीतवान्। मातुलः कुतः गङ्गाजलम् आनीतवान्। | Uncle brought Ganga Jalam from Kashi. |
अङ्गुलीयकम् अङ्गुल्याः पतति। अङ्गुलीयकम् कस्याः पतति। | अङ्गुलीयकम् अङ्गुलीतः पतति। अङ्गुलीयकम् कुतः पतति। | Ring falls from the finger. |
चोरः कारागृहात् निर्गच्छति। चोरः कस्मात् निर्गच्छति। | चोरः कारागृहतः निर्गच्छति। चोरः कुतः निर्गच्छति। | Thief comes out of Jail. कारागृह – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः शब्दः |
पञ्चमी विभक्तिः indicates the cause for fear. The meaning of ‘भी’ Dhatu is 'to fear'. It assumes irregular verbal forms. We have provided the present tense forms of 'भी’ Dhatu in all पुरुषः and वचनम्.
परस्मैपदी ‘भी’ धातुः – लटि क्रियापदानि | |||
---|---|---|---|
प्रथमपुरुषः | बिभेति | बिभितः , बिभीतः | बिभ्यति |
मध्यमपुरुषः | बिभेषि | बिभिथः , बिभीथः | बिभिथ , बिभीथ |
उत्तमपुरुषः | बिभेमि | बिभिवः , बिभीवः | बिभिमः , बिभीमः |
Please click the heading to view verb forms of ‘भी धातुः in all tenses and moods. Following examples clearly explains the use of पञ्चमी विभक्तिः with the cause of fear. We have also provided alternate forms with ‘तः’ Ending.
पञ्चमी विभक्तिः | तः- योजने | |
---|---|---|
हरिणः व्याघ्रात् बिभेति। हरिणः कस्मात् बिभेति? Deer fears of Tiger. | हरिणः व्याघ्रतः बिभेति। हरिणः कुतः बिभेति? | व्याघ्रात् – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘व्याघ्र’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
जनाः हन्तुः भीतः सन्ति। जनाः कस्मात् भीतः सन्ति। People are afraid of the killer. | जनाः हन्तृतः भीतः अस्ति। जनाः कुतः भीतः अस्ति। | हन्तुः – ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘हन्तृ' शब्दः – एकवचनम् - पञ्चमी विभक्तिः |
सज्जनाः अधर्मात् बिभ्यति। सज्जनाः कस्मात् बिभ्यति? Good people are afraid of Adharma. | सज्जनाः अधर्मतः बिभ्यति। सज्जनाः कुतः बिभ्यति? | अधर्मात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘अधर्म’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
पञ्चमी विभक्तिः enjoins word which indicates the danger or misfortune from which one is saved or protected. Dhatu used in this case is ‘रक्ष्’. Examples sentences are shown both with पञ्चमी विभक्तिः and ‘तः’ Ending.
पञ्चमी विभक्तिः | तः- योजने | |
---|---|---|
छत्रम् अस्मान् आतपात् रक्षति। छत्रम् अस्मान् कस्मात् रक्षति? Umbrella protects us from heat. | छत्रम् अस्मान् आतपतः रक्षति। छत्रम् अस्मान् कुतः रक्षति? | आतपात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘आतपः’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
विष्णुः मकरात् गजेन्द्रं अरक्षत्। विष्णुः कस्मात् गजेन्द्रं अरक्षत्? Lord Vishnu saved Gajendra from Crocodile. | विष्णुः मकरतः गजेन्द्रं अरक्षत्। विष्णुः कुतः गजेन्द्रं अरक्षत्? | मकरात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘मकरः’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
आरक्षकाः चोरेभ्यः जनान् रक्षन्ति। आरक्षकाः केभ्यः जनान् रक्षन्ति? Guards protect people from Thieves. | आरक्षकाः चोरेभ्यः जनान् रक्षन्ति। आरक्षकाः कुतः जनान् रक्षन्ति? | चोरेभ्यः - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘चोरः’ शब्दः – बहुवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
पञ्चमी विभक्तिः is also used when followed by some अव्ययाः पदाः like,
बहिः – Outside
आरभ्य - Starting
पूर्वम् – Before, earlier
परः – After, Later
There are few more similar Avyayas which facilitates the occurrence of पञ्चमी विभक्तिः. We will be learning about more on these in our next module. Let us now look at some examples for this type.
पञ्चमी विभक्तिः | तः- योजने | |
---|---|---|
गृहात् बहिः वृक्षः अस्ति। कस्मात् बहिः वृक्षः अस्ति? There is a tree outside the house. | गृहतः बहिः वृक्षः अस्ति। | गृहात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘गृहः’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
प्रातःकालात् आरभ्य कर्मकराः परिश्रमं कुर्वन्ति। कस्मात् आरभ्य कर्मकराः परिश्रमं कुर्वन्ति? Workers work hard since morning. | प्रातःकालतः आरभ्य कर्मकराः परिश्रमं कुर्वन्ति। | प्रातःकालात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘काल’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
संस्कृतकक्षायाः पूर्वं अल्पाकारं अकुर्म। कस्याः पूर्वं अल्पाहारम् अकुर्म? We had refreshments prior to Samskritam Class. | संस्कृतकक्षातः पूर्वं अल्पाहारम् अकुर्म। | कक्षायाः - आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘कक्षा’ शब्दः –एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
रविवासरात् परं सोमवासरः अस्ति। कस्मात् परं सोमवासरः अस्ति। Monday comes after Sunday. | रविवासरतः परं सोमवासरः अस्ति। | वासरात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘वासर’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
As in the case of चतुर्थी विभक्तिः, we recommend you to try to recognize पञ्चमी-विभक्ति-रूपाणि in texts and slokas you read. We will be working in a comprehensive way on identifying the usage of Vibakthis with the help of short essays and stories in the modules to follow. Let us now do some practice on what we have learned in this lesson. इदानीम् अभ्यासं कुर्म।
वृक्षः – अकारान्तः पुल्लिङ्गशब्दः
वृक्षात् वृक्षाभ्याम् वृक्षेभ्यः
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We have so far learned....
पञ्चमीविभक्तिः the Ablative case is used to represent propositions from and since in English. We have been hearing expressions like,मम नाम, तस्य पिता, तव माता used to indicate the relationship a noun holds to some one or something. The English pronoun forms like my, his, her your etc are equivalent to these forms which are in षष्ठी-विभक्तिः. Yes our next lesson in order is षष्ठी-विभक्तिः forms and their uses. Our next lesson is…
Lesson 22: Sixth Case Noun Forms in Sanskrit - षष्ठी विभक्तिः
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