இப்பாடத்தில் கற்க இருப்பது.... |
|
ஸம்பாக்ஷண வீடியோவைக் காண தலைப்பை Click செய்யவும். இப்பாடத்துடன் இணைந்த ஸம்பாஷண வீடியோவில் கால அவதி அல்லது பரந்துள்ள இடம் அல்லது இடைப்பட்ட தூரத்தைக் குறிக்க तः......पर्यन्तम् இணைந்த ப்ரயோகங்களைக் கற்கலாம். நேரத்தைக் சொல்ல ‘घण्टावादनम्’ என்ற பாடத்தை மீண்டும் பார்க்கவும். தொடக்கத்தைக் குறிக்கும் ‘आरभ्य’ என்ற அவ்யய பதத்தையும் கற்கிறோம். ‘कृते’ ப்ரயோகம் மற்றும் यथा......तथा’ என்ற வாக்கிய உட்பிரிவின் பரிச்சயமும் கிடைக்கிறது.
ஸம்பாஷண பயிற்சி - सम्भाषणाभ्यासः | ||
---|---|---|
तः……….पर्यन्तम् | ||
भवान् कदा निद्रां करोति? நீங்கள் எப்பொழுது உறங்குவீர்கள்? | अहं दशवादनतः षड्वादन-पर्यन्तं निद्रं करोमि। நான் 10 மணி முதல் 5 மணி வரை உறங்குவேன். | |
भवान् कदा अध्ययनं करोति? நீங்கள் எப்பொழுது படிப்பீர்கள்? | अहं षड्वादनतः नववादन-पर्यन्तम् अध्ययनम् करोमि? நான் 6 மணி முதல் 9 மணி வரை படிப்பேன். | |
भवती कदा क्रीडति? நீங்கள் எப்பொழுது (பெண்) விளையாடுவீர்கள்? | अहं सार्धपञ्चवादनतः सप्तवादन-पर्यन्तं क्रीडामि। நான் 5:30 மணி முதல் 7:00 மணி வரை விளையாடுவேன். | |
सोमवासरतः शनिवासरपर्यन्तम् विद्यालयः अस्ति। பள்ளிக்கூடம் திங்கள் முதல் சனி வரை செயல்படுகிறது. | फब्रवरी-मासतः मेमासपर्यन्तं घर्मकालः (ग्रीष्मकालः) अस्ति। பிப்ரவரி மாதம் முதல் மே மாதம் வரை வேனல் காலம். | |
अहं मङ्गलवासरतः शुक्रवासरपर्यन्तं व्रतं करोमि। நான் செவ்வாய் முதல் வெள்ளி வரை விரதம் இருக்கிறேன். | कर्नाटका-एक्स्प्रस् बङ्गलूरतः देहली-पर्यन्तम् गच्छति। கர்நாடகா எக்ஸ்பிரஸ் பெங்களூருக்கும் டெல்லிக்கும் இடையில் ஓடுகிறது. | |
भारतदेशः कन्याकुमरीतः काश्मीरपर्यन्तम् अस्ति। பாரத தேசம் கன்யாகுமரியிலிருந்து காஷ்மீரம் வரை பரவியுள்ளது. | भारतदेशः हिन्दुमहासागरतः हिमालयपर्वत-पर्यन्तम् अस्ति। பாரத தேசம் இந்து மஹா ஸமுத்திரத்திலிருந்து இமயமலை வரை பரவியுள்ளது. | |
अध्य आरभ्य / श्वः आरभ्य | ||
अध्य आरभ्य योगासनं करोमि। நான் இன்று தொடங்கி யோகாசனம் செய்கிறேன். | श्वः आरभ्य सम्यक् पठिष्यामि। நாளை தொடங்கி நன்றாக படிப்பேன். | |
परश्वः आरभ्य ध्यानं करिष्यामि। நாளை மறுநாள் முதல் த்யானம் செய்வேன். | श्वः आरभ्य सत्यं वदिष्यामि। நான் நாளை முதல் உண்மை பேசுவேன். | |
मम कृते / भवन्तः कृते / भवत्याः कृते | ||
अहं अर्जुनस्य कृते चमसं ददामि। நான் அர்ஜுனனுக்கு கரண்டி தருகிறேன். | अहं जयन्तस्य कृते कार्यानं ददामि। நான் ஜயந்தனுக்கு கார் கருகிறேன். | |
अहं विदिशायाः कृते दूरवाणीं ददामि। நான் விதிஷாவிற்கு கைப்பேசி தருகிறேன். | अहं शार्वर्याः कृते पत्रिकां ददामि। நான் ஶார்வரிக்கு பத்திரிகை தருகிறேன். | |
माता पुत्रस्य कृते किं किं ददाति? | माता पुत्रस्य कृते | मोदकं ददाति। |
वात्सल्यं ददाति। | ||
पुस्तकं ददाति। | ||
क्षीरं ददाति। | ||
औषदं ददाति। | ||
गृरुः शिष्यस्य कृते किं किं ददाति? | गृरुः शिष्यस्य कृते विद्यां ददाति। | |
यथा.......तथा | ||
यथा अहं करोमि सुशान्तः तथा करोति। நான் எதை செய்கிறேனோ அதை ஸுஶாந்தா செய்கிறாள். | अहं यथा लिखामि विदिशा तथा लिखति। நான் எதை எழுதுகிறேனோ அதை விதிஷா எழுதுகிறாள். | |
अहं यथा वदामि तथा चित्रा करोति। நான் எதை சொல்கிறேனோ அதை சித்ரா செய்கிறாள். | कालिदासः यथा काव्यं लिखति तथा कोऽपि न लिखति। காளிதாசன் எழுதுவது போல் எவரும் காவ்யம் எழுதுவதில்லை. |
ஆசிரியர் மாணவனுக்கு புத்தகத்தை கொடுக்கிறார்.
இந்த வாக்கியத்துடன் நாம் முன் பாடத்தை முடித்தோம்.மேற்கண்ட வாக்கியத்தில் ‘புத்தகம்’ செயற்பாடு பொருளையும் அதைப் பெறும் மாணவன் ‘கொள்ளுதல் பொருளை’ யும் குறிக்க முறையே இரண்டு மற்றும் நான்காம் வேற்றுமை உருபுகளை பெறுகின்றன. இப்பொழுது இவுவாக்கியத்தை ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் மொழி பெயர்ப்போம்.
अध्यापकः छात्राय पुस्तकं ददाति।
‘पुस्तकं’ க்ரியா பதம் ‘ददाति’யுடன் ‘कर्म’ தொடர்பினால் ‘द्वितीया विभक्तिः’ ஏற்றுள்ளது. छात्राय பதம் க்ரியாவின் பயனை பெறுபவரை (संप्रदानम्) உணர்த்த चतुर्थी विभक्तिः யை ஏற்கிறது. இப்பொழுது चतुर्थी विभक्तिः பதங்களை உள்ளடக்கிய சில உதாஹரண வாக்கியங்களைக் காணலாம்.
माता पुत्राय भोजनं ददाति | தாய் பிள்ளைக்கு உணவு தருகிறாள். |
परमेश्वरः अर्जुनाय पाशुपतास्त्रं अयच्छत्। | பரமேஶ்வரர் அர்ஜுனனுக்கு பாசுபதாஸ்த்ரம் அளித்தார். |
बालकाय मधुरं रोचते। | சிறுவனுக்கு இனிப்பு பிடிக்கிறது. |
कृष्णाय नमः। | க்ருஷ்ணனுக்கு நமஸ்காரம், |
माता शिशवे चन्द्रं दर्शयति। | அன்னை மகவுக்கு சந்திரனைக் காட்டுகிறாள். |
चतुर्थी विभक्तिः ‘கு’ நான்காம் வேற்றுமைக்கு இணையாக பயன்படுத்தப்படுகிறது. चतुर्थी विभक्तिः அதிகம் பயன்படுத்தப் படும் கீழ்க்கண்ட சந்தர்ப்பங்களை இப்பாடத்தில் எடுத்துக் காட்டியள்ளோம்.
வாக்கியங்களில் चतुर्थी யை காணும் முன் மூன்று லிங்கங்களிலும் வேறுப்பட்ட முடிவகளுக்கு चतुर्थी வடிவங்கள் எங்ஙனம் அமைகின்றன என பார்ப்போம்.
கீழ்க்காணும் பட்டியல்களில் நாம் ஏற்கனவே அறிந்த அஜந்த ஶப்தங்களின் (अजन्तशब्दाः) चतुर्थी विभक्तिः வடிவங்கள் மஞ்சள் பின்னனியில் நாம் கற்ற மற்ற மூன்று விபக்தி வடிவங்களுடன் கொடுக்கப் பட்டுள்ளன. ஒவ்வொரு ஶப்தத்தின் எட்டு வடிவங்களையும் காண தலைப்பை ‘Click’ செய்யவும்.
अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘रामः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रामः | रामौ | रामाः |
सं.प्रथमा | हे राम | हे रामौ | हे रामाः |
द्वितीया | रामम् | रामौ | रामान् |
तृतीया | रामेण | रामाभ्याम् | रामैः |
चतुर्थी | रामाय | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
इकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘हरिः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | हरिः | हरी | हरयः |
सं.प्रथमा | हे हरे | हे हरी | हे हरयः |
द्वितीया | हरिम् | हरी | हरीन् |
तृतीया | हरिणा | हरिभ्याम् | हरिभिः |
चतुर्थी | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
उकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘गुरुः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | गुरुः | गुरौ | गुरवः |
सं.प्रथमा | हे गुरो | हे गुरौ | हे गुरवः |
द्वितीया | गुरुम् | गुरौ | गुरून् |
तृतीया | गुरुणा | गुरुभ्याम् | गुरुभिः |
चतुर्थी | गुरवे | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘दातृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दाता | दातारौ | दातारः |
सं.प्रथमा | हे दातः | हे दातारौ | हे दातारः |
द्वितीया | दातारम् | दातारौ | दातॄन् |
तृतीया | दात्रा | दातृभ्याम् | दातृभिः |
चतुर्थी | दात्रे | दातृभ्याम् | दातृभ्यः |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘पितृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | पिता | पितरौ | पितरः |
सं.प्रथमा | हे पितः | हे पितरौ | हे पितरः |
द्वितीया | पितरम् | पितरौ | पितॄन् |
तृतीया | पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः |
चतुर्थी | पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
अकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘रमा’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रमा | रमे | रमाः |
सं.प्रथमा | हे रमे | हे रमे | हे रमाः |
द्वितीया | रमाम् | रमे | रमाः |
तृतीया | रमया | रमाभ्याम् | रमाभिः |
चतुर्थी | रमायै | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
इकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मति’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मतिः | मती | मतयः |
सं.प्रथमा | हे मते | हे मती | हे मतयः |
द्वितीया | मतिम् | मती | मतीः |
तृतीया | मत्या | मतिभ्याम् | मतिभिः |
चतुर्थी | मत्यै-मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘नदी’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | नदी | नद्यौ | नद्यः |
सं.प्रथमा | हे नदि | हे नद्यौ | हे नद्यः |
द्वितीया | नदीम् | नद्यौ | नदीः |
तृतीया | नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः |
चतुर्थी | नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
उकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘धेनु’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | धेनुः | धेनू | धेनवः |
सं.प्रथमा | हे धेनो | हे धेनू | हे धेनवः |
द्वितीया | धेनुम् | धेनू | धेनूः |
तृतीया | धेन्वा | धेनुभ्याम् | धेनुभिः |
चतुर्थी | धेन्वै - धेनवे | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
ऋकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मातृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | माता | मातरौ | मातरः |
सं.प्रथमा | हे मातः | हे मातरौ | हे मातरः |
द्वितीया | मातरम् | मातरौ | मातॄन् |
तृतीया | मात्रा | मातृभ्याम् | मातृभिः |
चतुर्थी | मात्रे | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘फल’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | फलम् | फले | फलानि |
सं.प्रथमा | हे फल | हे फले | हे फलानि |
द्वितीया | फलम् | फले | फलानि |
तृतीया | फलेन | फलाभ्याम् | फलैः |
चतुर्थी | फलाय | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘वारि’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | वारि | वारिणी | वारीणि |
सं.प्रथमा | हे वारे – हे वारि | हे वारिणी | हे वारीणि |
द्वितीया | वारि | वारिणी | वारीणि |
तृतीया | वारिणा | वारिभ्याम् | वारिभिः |
चतुर्थी | वारिणे | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘दधि’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दधि | दधिनी | दधीनि |
सं.प्रथमा | हे दधे – हे दधि | हे दधिनी | हे दधीनि |
द्वितीया | दधि | दधिनी | दधीनि |
तृतीया | दध्ना | दधिभ्याम् | दधिभिः |
चतुर्थी | दध्ने | दधिभ्याम् | दधिभ्यः |
उकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘मधु’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मधु | मधुनी | मधूनि |
सं.प्रथमा | हे मधो – हे मधु | हे मधुनी | हे मधूनि |
द्वितीया | मधु | मधुनी | मधूनि |
तृतीया | मधुना | मधुभ्याम् | मधुभिः |
चतुर्थी | मधुने | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களின் चतुर्थी வடிவங்களையும் பார்ப்போம்.
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषः | एतौ | एते |
द्वितीया | एतम् - एनम् | एतौ | एतान् - एनान् |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषा | एते | एताः |
द्वितीया | एताम् - एनाम् | एते | एताः - एनाः |
तृतीया | एतया - एनया | एताभ्याम् | एताभिः |
चतुर्थी | एतस्यै | एताभ्याम् | एताभ्यः |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एतत्त् | एते | एतानि |
द्वितीया | एतत् - एनत् | एते | एतानि - एनानि |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | >एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सः | तौ | ते |
द्वितीया | तम् | तौ | तान् |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सा | ते | ताः |
द्वितीया | ताम् | ते | ताः |
तृतीया | तया | ताभ्याम् | ताभिः |
चतुर्थी | तस्यै | ताभ्याम् | ताभ्यः |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | तत् | ते | तानि |
द्वितीया | तत् | ते | तानि |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
मकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | कः | कौ | के |
द्वितीया | कम् | कौ | कान् |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
मकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | का | के | काः |
द्वितीया | काम् | के | काः |
तृतीया | कया | काभ्याम् | काभिः |
चतुर्थी | कस्यै | काभ्याम् | काभ्यः |
मकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | किम् | के | कानि |
द्वितीया | किम् | के | कानि |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘भवत्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | भवान् | भवन्तौ | भवन्तः |
द्वितीया | भवन्तम् | भवन्तौ | भवतः |
तृतीया | भवता | भवद्भ्याम् | भवद्भिः |
चतुर्थी | भवते | भवद्भ्याम् | भवद्भ्यः |
दकारान्तः ‘अस्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | अहम् | आवाम् | वयम् |
द्वितीया | माम् - मा | आवाम् - नौ | अस्मान् - नः |
तृतीया | मया | आवाभ्याम् | >अस्माभिः |
चतुर्थी | मह्यम् - मे | आवाभ्याम् - नौ | अस्मभ्यम् - नः |
दकारान्तः ‘युष्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | त्वम् | युवाम् | यूयम् |
द्वितीया | त्वाम् - त्वा | युवाम् - वाम् | युष्मान् - वः |
तृतीया | त्वया | युवाभ्याम् | युष्माभिः |
चतुर्थी | तुभ्यम् - ते | युवाभ्याम् - वाम् | युष्मभ्यम् - नः |
ஒரு பொருளை கொடுக்கும் பொழுது அதை பெறுபவரை (கொள்ளுதல் பொருள்) चतुर्थी विभक्तिः சுட்டி காட்டுகிறது என்று முதலில் பார்த்தோம். கொடுக்கும் செயலை ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் ‘दा’ धातुः உணர்த்துகிறது. நான்காவது தாது கணத்தில் (दिवादिः गणः) இடம் பெற்ற ‘दा’ धातुः’ வேற்பட்ட க்ரியாபத ருபங்களை ஏற்கிறது என்று முன்பே கண்டோம். க்ரியாவை உணர்த்த ‘दा’ धातुः பயன்படுத்தப்படும் பொழுது பெறுபவரை चतुर्थी विभक्तिः சுட்டி காட்டுகிறது. முதல் தாது கணத்திலும் (भ्वादिः गणः) ஒரு दा’ धातुः இடம் பெறுகிறது. இதன் நிகழ்கால வடிவமான ‘यच्छति’ யை நாம் அறிந்திருக்கிறோம். இவ்விரு தாதுக்களின் அனைத்து லகார வடிவங்களையும் காண Linkஐ Click செய்யவும்.
‘दा’ धातुः (दिवादिः गणः/आत्मनेपदी)
‘दा’ धातुः (दिवादिः गणः/परस्मैपदी)
चतुर्थी विभक्तिः வாக்கியங்களில் கொள்ளுதல் பொருளைச் சுட்டி காட்டுகிறது. ‘கு’ வேற்றுமை உருபுக்கு இணையானது. कस्मै, कस्यै அல்லது இணையான மற்ற வசன வினாக்களுக்கு விடையாக चतुर्थी-विभक्ति-शब्दाः அமைகின்றன.
கீழ்க்காணும் உதாஹரணங்களில் ‘दा’ க்ரியா பதங்களுடன் இணையும் चतुर्थी विभक्तिः ரூபங்களைக் காண்கிறோம்.
जननी बालकाय दुग्धं यच्छति। தாய் மகனுக்கு பால் கொடுக்கிறாள். | जननी कस्मै दुग्धं यच्छति। जननी बालकाय दुग्धं यच्छति। | बालकाय –अकारान्तः पुल्लिङ्गः बालक शब्दः एकवचनं - चतुर्थी विभक्तिः |
कृष्णः मित्राय उपायनं ददाति। க்ருஷ்ணன் நண்பனுக்கு பரிசு கொடுக்கிறான். | कृष्णः कस्मै उपायनं ददाति। कृष्णः मित्राय उपायनं ददाति। | मित्राय - अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः मित्र शब्दः एकवचनं - चतुर्थी विभक्तिः |
धनिकः दरिद्रेभ्यः धनं अददात्। செல்வந்தர் எளியவர்களுக்கு பணம் வழங்கினார். | धनिकः केभ्यः धनं अददात्। धनिकः दरिद्रेभ्यः धनं अददात्। | दरिद्रेभ्यः अकारान्तः पुल्लिङ्गः दरिद्र शब्दः बहुवचनं - चतुर्थी विभक्तिः |
शिष्याः गुरवे दक्षिणां ददति। ஶிஷ்யர்கள் குருவுக்கு தக்ஷிணை தருகிறார்கள். | शिष्याः कस्मै दक्षिणां ददति। शिष्याः गुरवे दक्षिणां ददति। | गुरवे - उकारान्तः पुल्लिङ्गः गुरु शब्दः एकवचनं - चतुर्थी चतुर्थी विभक्तिः |
वैद्यः नन्दिन्यै औषधम् यच्छति। மருத்துவர் நந்தினிக்கு மருந்து கொடுக்கிறார். | वैद्यः कस्यै औषधम् यच्छति। वैद्यः नन्दिन्यै औषधम् यच्छति। | नन्दिन्यै - इकारान्तः स्त्रीलिङ्गः नन्दिनी शब्दः एकवचनं चतुर्थी विभक्तिः |
अहम् अर्जुनस्य कृते चमसं ददामि।
ஸம்பாஷண வீடியோவில் षष्टी विभक्तिः யுடன் कृते இணைந்த இவ்வாக்கியத்தைக் கண்டோம். இதற்கு இணையான चतुर्थी विभक्तिः ப்ரயோகம் இவ்வாறு அமைகிறது....
अहम् अर्जुनाय चमसं ददामि।
कस्य மற்றும் कृते இணைந்த வினா வாக்கியத்திற்கு இணையாக कस्मै, कस्यै போன்ற பதங்களைக் கொண்டு வினாக்களை அமைக்கலாம்
ஒரு செயலின் பயனை பெறுபவரைக் குறிக்க चतुर्थी विभक्तिः பயன்படுகிறது. இதை விளக்க வேறுப்பட்ட க்ரியா பதங்களுடன் உதாஹரண வாக்கியங்கள் கொடுக்கப்பட்டுள்ளன.
पिता पुत्रेभ्यः चाकलेहानि आनयति। தந்தை பிள்ளைகளுக்கு Chocaltes கொண்டு வருகிறார். | पिता केभ्यः चाकलेहानि आनयति? पिता पुत्रेभ्यः चाकलेहानि आनयति। |
पतिः पत्न्यै शाटिकां क्रीणाति। கணவன் மனைவிக்கு புடவை வாங்குகிறான். | पतिः कस्यै शाटिकां क्रीणाति? पतिः पत्न्यै शाटिकां क्रीणाति। |
शेखरः मित्राय चित्रं दर्शयति। சேகர் நண்பனுக்கு படத்தை காட்டுகிறான். | शेखरः क्स्य चित्रं दर्शयति? शेखरः मित्राय चित्रं दर्शयति। |
सचिवः कार्यालयाय सङ्गणकं अक्रिणात्। செயலாளர் கார்யாலயத்திற்கு கம்ப்யூடர் வாங்கினார். | सचिवः कस्मै सङ्गणकं अक्रिणात्? सचिवः कार्यालयाय सङ्गणकं अक्रिणात्। |
छात्रः परीक्षाय लेखनीं नयति। மாணவன் பரீக்ஷைக்கு பேனா எடுத்துச் செல்கிறான். | छात्रः कस्मै लेखनीं नयति? छात्रः परीक्षाय लेखनीं नयति। |
பாடம் 14 இன் ஸம்பாஷண வீடியோவில் ‘किमर्थम्?’ என்ற வினா பத்த்தின் விடையாய் அமையும் வாக்கியங்களைக் கண்டோம். உதாஹரணமாக,
अनिता किमर्थं विद्यालयं गच्छति?
अनिता पठनार्थं विद्यालयं गच्छति।
किमर्थम्? வினாவின் விடை चतुर्थी विभक्तिः கொண்டும் அமைய இயலும்.
अनिता पठनाय विद्यालयं गच्छति।
तुमुनान्तः கொண்டு அமையும் வாக்கியமும் இப்பொருளை உணர்த்த இயலும்.
अनिता पठितुं विद्यालयं गच्छति।
क्रियार्था क्रिया இம்மூன்று வகையான வாக்கியங்களில் எவ்வாறு வெளிப்படுகின்றது என்று உதாஹரணங்களின் மூலம் அறியலாம்.
चतुर्थी विभक्तिः | Ending in अर्थम् | तुमुनन्तः |
---|---|---|
जनाः जीवनाय भोजनम् कुर्वन्ति। மக்கள் வாழ்வதற்காக உண்கிறார்கள். | जनाः जीवनार्थं भोजनम् कुर्वन्ति। | जनाः जीवितुं भोजनम् कुर्वन्ति। |
पर्यटकाः भ्रमणाय आगच्छन्ति। பயணிகள் சுற்றி பார்ப்பதற்காக வருகிறார்கள். | पर्यटकाः भ्रमणार्थम् आगच्छन्ति। | पर्यटकाः भ्रमण्तुं आगच्छन्ति। |
कुम्भकर्णः निद्राय जीवितवान्। கும்பகர்ணன் உறங்குவதற்காக வாழ்ந்தவன். | कुम्भकर्णः निद्रार्थं जीवितवान्। | कुम्भकर्णः निद्रातुं जीवितवान्। |
अहम् अर्चनाय मन्दिरं गच्छामि। நான் அர்ச்சனை செய்வதற்கு கோவிலுக்கு செல்கிறேன். | अहम् अर्चनार्थं मन्दिरं गच्छामि। | अहम् अर्चितुं मन्दिरं गच्छामि। |
पाण्डवाः धर्मयुद्धाय कुरुक्षेत्रे समवेताः। பாண்டவர்கள் தர்ம யுத்தத்திறுகாக குரு க்ஷேத்திரத்தில் ஒன்று சேர்ந்தார்கள். | पाण्डवाः धर्मयुद्धार्थं कुरुक्षेत्रे समवेताः। | पाण्डवाः धर्मयुद्धं कर्तुं कुरुक्षेत्रे समवेताः।` |
நோக்கத்தையோ பயனையோ உணர்த்தும் நாம்பதம் चतुर्थी विभक्तिः யில் அமைகிறது. இந்த சந்தர்ப்பங்களில் க்ரியாபதம் ‘भवति’ वचनं, पुरुषः ஒட்டிய மாற்றத்துடன் அமைகிறது. ஆத்மனே பதி ‘कृप्’ தாதுவின் ‘कलपते’ யும் க்ரியா பதமாக அமைகிறது. இவ்வகையான चतुर्थी வடிவங்களின் உதாஹரணங்களைக் பார்ப்போம்.
प्रियवचनम् अन्येषां सन्तोषाय भवति। | இனிய சொற்கள் மற்றவர்களை மகிழ்விக்கிறது. |
धनं प्रायः मदाय भवति। | செல்வம் பொதுவாக ஆணவத்தை அளிக்கிறது. |
गीतापठनम् ज्ञानाय भवति। | ஞானத்திற்காக கீதா பாடம். |
விருப்பத்தை குறிப்பிடுகையில் விரும்பும் பொருள் चतुर्थी विभक्तिः யுடன் காணப்படுகிறது. விருப்பத்தைக் குறிக்கும் ஸம்ஸ்க்ருத வாக்கியத்தை தமிழ் மொழி பெயர்ப்புடன் பார்ப்போம்.
ப்ரதீபிற்கு இனிப்பு பிடிக்கும்.
प्रदीपाय मधुरं रोचते।
பிடிக்கிறது என்ற பொருளில் அமைந்த रोचते என்ற பதம் आत्मनेपदी धातुः ‘रुच्’ வின் प्रथमपुरुष एकवचन வடிவம். रोचते க்ரியா பதமாக அமைந்த வாக்கியங்களில் விரும்புவரை चतुर्थी विभक्तिः யும் प्रथमा विभक्तिः விருப்பத்தையும் (कार्यं அல்லது वस्तुः) உணர்த்துகின்றன.
‘रोचते’ பதம் உள்ளடக்கிய உதாஹரணங்கள் பட்டியலில் காணப்படுகின்றன.
देवाय भक्तिः रोचते। | இறைவனுக்கு விருப்பம் பக்தி. |
पठनं सीतायै न रोचते। | சீதாவுக்கு படிப்பில் விருப்பம் இல்லை. |
मह्यं कदलीफलं न रोचते। | எனக்கு வாழைப்பழம் விருப்பம் இல்லை. |
तुभ्यं मोदकं रोचते। | உனக்கு மோதகம் பிடிக்கும். |
बालकेभ्यः क्रीडनम् रोचते। | பாலகர்களுக்கு விருப்பம் விளையாட்டு. |
महिलाभ्यः जल्पः रोचते। | பெண்களுக்கு பேசுதல் விருப்பம். |
भगिन्यै पुष्पाणि रोचन्ते। | சகோதரிக்கு விருப்பம் புஷ்பங்கள். |
‘नमः’ (நமஸ்காரம்) என்ற பதத்துடன் வணங்கப்படுபவரை चतुर्थी विभक्तिः காட்டுகிறது.
कृष्णाय नमः। க்ருஷ்ணனுக்கு நமஸ்காரம். | कृष्णाय - अकारान्त-पुल्लिङ्ग-कृष्ण-शब्दस्य चतुर्थी एकवचनम् |
देव्यै नमः। தேவிக்கு நமஸ்காரம். | देव्यै – इकारान्त-पुल्लिङ्ग-देवी-शब्दस्य चतुर्थी एकवचनम् |
मात्रे नमः। அன்னைக்கு நமஸ்காரம். | मात्रे – ऋकारान्त-स्त्रीलिङ्ग-मातृ-शब्दस्य चतुर्थी एकवचनम् |
नमः सर्वेभ्यः। அனைவருக்கும் நமஸ்காரம். | सर्वेभ्यः – अकारान्त-पुल्लिङ्ग-सर्व-शब्दस्य चतुर्थी बहुवचनम् |
भवते नमः। உங்களுக்கு நமஸ்காரம். (भवान्) | भवते – नकारान्त-पुल्लिङ्ग-भवान्-शब्दस्य चतुर्थी एकवचनम् |
गुरवे नमः। குருவிற்கு நமஸ்காரம். | गुरवे – उकारान्त-पुल्लिङ्ग-गुरु-शब्दस्य चतुर्थी एकवचनम् |
சில குறிப்பிட்ட வினை தாதுக்களுடன் (धातवः) चतुर्थी विभक्तिः பயன்படுகிறது
कंसः कृष्णाय क्रुध्यति। | கம்ஸனுக்கு க்ருஷாணனிடத்தில் கோபம். |
रमा सुधायै असूयति। | ரமாவிற்கு ஸுதாவிடம் பொறாமை. |
कौरवाः पाण्डवेभ्यः ईर्ष्यन्ति। | கௌரவர்களுக்கு பாண்தவர்களிடத்தில் பொறாமை. |
पिता पुत्राय कुप्यति। | தந்தைக்கு மகனிடம் கோபம். |
राक्षसाः मुनिभ्यः द्रुह्यन्ति। | ராக்ஷஸர்கள் முனிவர்களை தாக்குகிறார்கள். |
இப்பாடம் சற்றே நீளமாகத்தான் இருந்தது. ஸம்ஸ்க்ருத பாடங்கள், கதைகள் மற்றும் கட்டுரைகளை படிக்க படிக்க चतुर्थी विभक्तिः வடிவங்கள் மற்றும் வாக்கியத்தின் மற்ற பகுதிகளுடன் அவற்றின் தொடர்பு பற்றியும் தெளிவான அறிவை பெறுவீர்கள். அதுவரை கற்றதின் அடிப்படையில் அப்பியாஸம் செய்யலாம். अभ्यासं कर्तुं सिद्धाः भवन्तु।
वृक्षः – अकारान्तः पुल्लिङ्गशब्दः
वृक्षाय वृक्षाभ्याम् वृक्षेभ्यः
இப்பாடத்தைப் பற்றிய உங்கள் அனுபவங்களையும் பரிந்துரைகளையும் எங்களுடன் பகிர்ந்துக் கொள்ளுங்கள். இலவசமாகப் பதிவுச் செய்து உங்கள் கருத்துக்களை Post செய்யவும். சந்தேகங்கள் தெளிவு பெற samskrit@samskritaveethy.com க்கு எழுதுங்கள்.
தமிழில் நான்காம் வேற்றுமை உருபு ‘கு’ விற்கு இணையாக ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் चतुर्थीविभक्तिः யைப் பற்றி கற்றோம். முன் பாடத்தில் तृतीया विभक्तिः மூன்றாம் வேற்றுமை உருபுகள் ‘ஆன்’, ‘ஆல்’, ‘ஓடு’ முதலியவற்றை குறிக்கி பயன்கடுவதையும் பார்த்தோம். पञ्चमी நாம் அடுத்து கற்கவிருக்கும் विभक्तिः. தொடரும் பாடம் पञ्चमी विभक्तिः வடிவங்களையும் பயன்படுத்தப்படும் இடங்களையும் விளக்குகிறது. நமது அடுத்த பாடம்.........
பாடம் 21: ஸம்ஸ்க்ருத நாம பதங்கள் பஞ்சமீ விபக்தி - पञ्चमी विभक्तिः
0 comments |
To get updates on
संस्कृतवीथी...