இப்பாடத்தில் கற்க இருப்பது.... |
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இப்பாடத்துடன் இணைந்த ஸம்பாஷண வீடியோவைக் காண தலைப்பைக் ‘க்ளிக்’ செய்யவும். வீடியோவில் நாம் காண்பது....
ஸம்பாஷணத்தில் நாம் கேட்ட ஒரு சில ஶப்தங்களின் பொருள் தமிழில்....
தமிழில் ஐந்தாம் வேற்றுமையை ஒட்டிய पञ्चमी विभक्तिः பொதுவாக பிரிதலைக் குறிக்கிறது, பஞ்சமீயின் பயன்பாட்டை அறிய கீழே தரப்பட்டுள்ள படங்களுடன் கூறிய வாக்கியங்களைக் கவனிக்கவும்.
कर्तृपदम् | कुतः | क्रियापदम् |
---|---|---|
बालकः विद्यालयात् आगच्छति। | ||
कर्तृपदम् | कुतः | क्रियापदम् |
फलं वृक्षात् पतति। | ||
कर्तृपदम् | कुतः | क्रियापदम् |
महिला पाकशालायाः आगच्छति। | ||
மஞ்சள் பின்னனியில் எடுத்துக் காட்டப்பட்டுள்ள சொற்கள் पञ्चमी விபக்தியில் அமைந்துள்ளன. இப்பாடத்தில் கீழ்க் காணும் சந்தர்ப்பங்களில் पञ्चमी செயல்பாட்டினைக் கற்க இருக்கிறோம்.
முதலில் நாம் மூன்று லிங்கங்களிலும் வேறுப்பட்ட முடிவகளுக்கு पञ्चमी வடிவங்கள் எங்ஙனம் அமைகின்றன என பார்ப்போம்.
கீழ்க்காணும் பட்டியல்களில் நாம் ஏற்கனவே அறிந்த அஜந்த ஶப்தங்களின் (अजन्तशब्दाः) पञ्चमी विभक्तिः வடிவங்கள் மஞ்சள் பின்னனியில் நாம் கற்ற மற்ற நான்கு விபக்தி வடிவங்களுடன் கொடுக்கப் பட்டுள்ளன. ஒவ்வொரு ஶப்தத்தின் எட்டு வடிவங்களையும் காண தலைப்பை ‘Click’ செய்யவும்.
अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘रामः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रामः | रामौ | रामाः |
सं.प्रथमा | हे राम | हे रामौ | हे रामाः |
द्वितीया | रामम् | रामौ | रामान् |
तृतीया | रामेण | रामाभ्याम् | रामैः |
चतुर्थी | रामाय | रामाभ्याम् | रामेभ्य |
पञ्चमी | रामात् | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
इकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘हरिः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | हरिः | हरी | हरयः |
सं.प्रथमा | हे हरे | हे हरी | हे हरयः |
द्वितीया | हरिम् | हरी | हरीन् |
तृतीया | हरिणा | हरिभ्याम् | हरिभिः |
चतुर्थी | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
पञ्चमी | हरेः | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
उकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘गुरुः’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | गुरुः | गुरौ | गुरवः |
सं.प्रथमा | हे गुरो | हे गुरौ | हे गुरवः |
द्वितीया | गुरुम् | गुरौ | गुरून् |
तृतीया | गुरुणा | गुरुभ्याम् | गुरुभिः |
चतुर्थी | गुरवे | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
पञ्चमी | गुरोः | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘दातृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दाता | दातारौ | दातारः |
सं.प्रथमा | हे दातः | हे दातारौ | हे दातारः |
द्वितीया | दातारम् | दातारौ | दातॄन् |
तृतीया | दात्रा | दातृभ्याम् | दातृभिः |
चतुर्थी | दात्रे | दातृभ्याम् | दातृभ्यः |
पञ्चमी | दातुः | दातृभ्याम् | दातृभ्यः |
ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘पितृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | पिता | पितरौ | पितरः |
सं.प्रथमा | हे पितः | हे पितरौ | हे पितरः |
द्वितीया | पितरम् | पितरौ | पितॄन् |
तृतीया | पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः |
चतुर्थी | पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्य |
पञ्चमी | पितुः | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘रमा’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | रमा | रमे | रमाः |
सं.प्रथमा | हे रमे | हे रमे | हे रमाः |
द्वितीया | रमाम् | रमे | रमाः |
तृतीया | रमया | रमाभ्याम् | रमाभिः |
चतुर्थी | रमायै | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
पञ्चमी | रमायाः | रमाभ्याम् | रमाभ्यः |
इकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मति’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मतिः | मती | मतयः |
सं.प्रथमा | हे मते | हे मती | हे मतयः |
द्वितीया | मतिम् | मती | मतीः |
तृतीया | मत्या | मतिभ्याम् | मतिभिः |
चतुर्थी | मत्यै-मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
पञ्चमी | मत्याः-मतेः | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘नदी’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | नदी | नद्यौ | नद्यः |
सं.प्रथमा | हे नदि | हे नद्यौ | हे नद्यः |
द्वितीया | नदीम् | नद्यौ | नदीः |
तृतीया | नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः |
चतुर्थी | नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
पञ्चमी | नद्याः | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
उकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘धेनु’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | धेनुः | धेनू | धेनवः |
सं.प्रथमा | हे धेनो | हे धेनू | हे धेनवः |
द्वितीया | धेनुम् | धेनू | धेनूः |
तृतीया | धेन्वा | धेनुभ्याम् | धेनुभिः |
चतुर्थी | धेन्वै - धेनवे | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
पञ्चमी | धेन्वाः - धेनोः | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
ऋकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मातृ’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | माता | मातरौ | मातरः |
सं.प्रथमा | हे मातः | हे मातरौ | हे मातरः |
द्वितीया | मातरम् | मातरौ | मातॄन् |
तृतीया | मात्रा | मातृभ्याम् | मातृभिः |
चतुर्थी | मात्रे | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
पञ्चमी | मातुः | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘फल’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | फलम् | फले | फलानि |
सं.प्रथमा | हे फल | हे फले | हे फलानि |
द्वितीया | फलम् | फले | फलानि |
तृतीया | फलेन | फलाभ्याम् | फलैः |
चतुर्थी | फलाय | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
पञ्चमी | फलात् | फलाभ्याम् | फलेभ्यः |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘वारि’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | वारि | वारिणी | वारीणि |
सं.प्रथमा | हे वारे – हे वारि | हे वारिणी | हे वारीणि |
द्वितीया | वारि | वारिणी | वारीणि |
तृतीया | वारिणा | वारिभ्याम् | वारिभिः |
चतुर्थी | वारिणे | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
पञ्चमी | वारिणः | वारिभ्याम् | वारिभ्यः |
इकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘दधि’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | दधि | दधिनी | दधीनि |
सं.प्रथमा | हे दधे – हे दधि | हे दधिनी | हे दधीनि |
द्वितीया | दधि | दधिनी | दधीनि |
तृतीया | दध्ना | दधिभ्याम् | दधिभिः |
चतुर्थी | दध्ने | दधिभ्याम् | दधिभ्यः |
पञ्चमी | दध्नः | दधिभ्याम् | दधिभ्यः |
उकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘मधु’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | मधु | मधुनी | मधूनि |
सं.प्रथमा | हे मधो – हे मधु | हे मधुनी | हे मधूनि |
द्वितीया | मधु | मधुनी | मधूनि |
तृतीया | मधुना | मधुभ्याम् | मधुभिः |
चतुर्थी | मधुने | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
पञ्चमी | मधुनः | मधुभ्याम् | मधुभ्यः |
ஸர்வநாம ஶப்தங்களின் पञ्चमी வடிவங்களையும் பார்ப்போம்.
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषः | एतौ | एते |
द्वितीया | एतम् - एनम् | एतौ | एतान् - एनान् |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
पञ्चमी | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एषा | एते | एताः |
द्वितीया | एताम् - एनाम् | एते | एताः - एनाः |
तृतीया | एतया - एनया | एताभ्याम् | एताभिः |
चतुर्थी | एतस्यै | एताभ्याम् | एताभ्यः |
पञ्चमी | एतस्याः | एताभ्याम् | एताभ्यः |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘एतद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | एतत्त् | एते | एतानि |
द्वितीया | एतत् - एनत् | एते | एतानि - एनानि |
तृतीया | एतेन - एनेन | एताभ्याम् | एतैः |
चतुर्थी | एतस्मै | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
पञ्चमी | एतस्मात् | एताभ्याम् | एतेभ्यः |
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सः | तौ | ते |
द्वितीया | तम् | तौ | तान् |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
पञ्चमी | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | सा | ते | ताः |
द्वितीया | ताम् | ते | ताः |
तृतीया | तया | ताभ्याम् | ताभिः |
चतुर्थी | तस्यै | ताभ्याम् | ताभ्यः |
पञ्चमी | तस्याः | ताभ्याम् | ताभ्यः |
दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘तद्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | तत् | ते | तानि |
द्वितीया | तत् | ते | तानि |
तृतीया | तेन | ताभ्याम् | तैः |
चतुर्थी | तस्मै | ताभ्याम् | तेभ्यः |
पञ्चमी | तस्मात् | ताभ्याम् | तेभ्यः |
मकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | कः | कौ | के |
द्वितीया | कम् | कौ | कान् |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
पञ्चमी | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
मकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | का | के | काः |
द्वितीया | काम् | के | काः |
तृतीया | कया | काभ्याम् | काभिः |
चतुर्थी | कस्यै | काभ्याम् | काभ्यः |
पञ्चमी | कस्याः | काभ्याम् | काभ्यः |
मकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘किम्’ शब्दः | |||
---|---|---|---|
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | किम् | के | कानि |
द्वितीया | किम् | के | कानि |
तृतीया | केन | काभ्याम् | कैः |
चतुर्थी | कस्मै | काभ्याम् | केभ्यः |
पञ्चमी | कस्मात् | काभ्याम् | केभ्यः |
மூன்று லிங்கங்களிலும் ஒரு ஶப்தத்தின் அல்லது ஸர்வநாம ஶப்தத்தின் तृतीया, चतुर्थी மற்றும் पञ्चमी யின் द्विवचनम् வடிவங்கள் வேறுபடுவதில்லை. चतुर्थी, पञ्चमी बहुवचनम् வடிவங்கள் ஒன்றாகவே உள்ளன.
दकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘भवत्’ शब्दः | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | भवान् | भवन्तौ | भवन्तः |
द्वितीया | भवन्तम् | भवन्तौ | भवतः |
तृतीया | भवता | भवद्भ्याम् | भवद्भिः |
चतुर्थी | भवते | भवद्भ्याम् | भवद्भ्यः |
पञ्चमी | भवतः | भवद्भ्याम् | भवद्भ्यः |
दकारान्तः ‘अस्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | अहम् | आवाम् | वयम् |
द्वितीया | माम् - मा | आवाम् - नौ | अस्मान् - नः |
तृतीया | मया | आवाभ्याम् | अस्माभिः |
चतुर्थी | मह्यम् - मे | आवाभ्याम् - नौ | अस्मभ्यम् - नः |
पञ्चमी | मत् | आवाभ्याम् | अस्मत् |
दकारान्तः ‘युष्मद्’ शब्दः त्रिषु लिङ्गेषु | |||
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एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमा | त्वम् | युवाम् | यूयम् |
द्वितीया | त्वाम् - त्वा | युवाम् - वाम् | युष्मान् - वः |
तृतीया | त्वया | युवाभ्याम् | युष्माभिः |
चतुर्थी | तुभ्यम् - ते | युवाभ्याम् - वाम् | युष्मभ्यम् - वः |
पञ्चमी | त्वत् | युवाभ्याम् | युष्मत् |
‘अस्मद्’ மற்றும் युष्मद्’ ஶப்தங்களின் चतुर्थी, पञ्चमी बहुवचनम् வடிவங்கள் வேறுபடுகின்றன.
ஏதாவது ஒருவர் அல்லது ஒன்று ஓரிடத்திலிருந்து பிரியும்பொழுது पञ्चमी-विभक्तिः பிரியும் இடத்தை உணர்த்துகிறது. முதலில் கண்ட உதாஹரணங்களை மீண்டும் காண்போம்.
पञ्चमी विभक्तिः யின் இத்தகைய ப்ரயோகத்தை அறிய மேலும் சில உதாஹரணங்களைப் பார்ப்போம்.
वृष्टिजलम् आकाशात् पतति। | மழைநீர் வானத்திலிருந்து விழுகிறது. |
जनाः ग्रामेभ्यः नगरम् आगच्छन्ति। | மக்கள் கிராமங்களிலிருந்து நகரத்திற்கு வருகிறார்கள். |
गङ्गा हिमालयात् प्रवहति। | கங்கை ஹிமாலயத்திலிருந்து பரந்து ஓடுகிறாள். |
मम मित्राणि भोजनशालायाः आगच्छन्ति। | என் நண்பர்கள் போஜனாலயத்திலிருந்து வருகிறார்கள். |
“எங்கிருந்து, எதிலிருந்து, எவரிடமிருந்து” (कस्मात्/कस्याः) போன்ற கேள்விகளுக்கு பதிலாக வரும் சொற்களுடன் पञ्चमी विभक्तिः இணைகிறது. இம்முறையில் पञ्चमी-विभक्तिः பல விதமான இடங்களில் இணைவதை எளிதில் அறிய இயலும். கீழ்க் காணும் உதாஹரணங்கள் இவ்வெளிய வழியைத் தெளிவாக்குகின்றன.
गृहिणी नद्याः जलम् आनयति। இல்லத்தரசி நதியிலிருந்து ஜலம் கொண்டு வருகிறாள். | गृहिणी कस्याः जलम् आनयति? गृहिणी नद्याः जलम् आनयति। | नद्याः ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘नदी’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
छात्रः लोकयानात् अवतरति। மாணவன் பேருந்திலிருந்து இறங்குகிறான். | छात्रः कस्मात् अवतरति? छात्रः लोकयानात् अवतरति। | लोकयानात् – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘लोकयानम्’ शब्दः - एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
शङ्करः वित्तकोषात् धनं गृहीतवान्। ஶங்கரன் வங்கியிலிருந்து பணம் பெற்றான். | शङ्करः कस्मात् धनं गृहीतवान्? शङ्करः वित्तकोषात् धनं गृहीचवान्। | वित्तकोषात् – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘वित्तकोषः’ शब्दः - एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
जनाः धेनुभ्यः क्षीरं प्राप्नुवन्ति। மக்கள் பசுக்களிலிருந்து பாலை பெறுகின்றனர். | जनाः केभ्यः क्षीरं प्राप्नुवन्ति? जनाः धेनुभ्यः क्षीरं प्राप्नुवन्ति। | धेनुभ्यः – उकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘धेनु’ शब्दः – बहुवचनम् - पञ्चमी विभक्तिः |
अर्जुनः पशुपतेः पाशुपतास्त्रं प्राप्तवान्। அர்ஜுனன் பசுபதியிடமிருந்து பாசுபதாஸ்த்ரத்தைப் பெற்றான். | अर्जुनः कस्मात् पाशुपतास्त्रं प्राप्तवान्? अर्जुनः पशुपतेः पाशुपतास्त्रं प्राप्तवान्। | पशुपतेः – इकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘पशुपतिः’ शब्दः – एकवचनम् - पञ्चमी विभक्तिः |
நாம் முன்பு கண்ட சில ஸம்பாஷண வீடியோக்களில் ப்ராதிபதிகத்துடன் (प्रातिपदिकम्) ‘तः’ இணைந்து இருந்து என்ற பொருளை உணர்த்துவதைக் கண்டோம். ‘तः’ முடிவுகள் पञ्चमी பொருளை உணர்த்தக் கையாளப்படும் எளிய முறையாகும். எடுத்துக்காட்டாக,
नागेशः कस्मात् आगतवान्?
नागेशः बङ्गलूरु-नगरात् आगतवान्।
இதே பொருளை बङ्गलूरु வுடன் ‘तः’ இணைவதன் மூலம் பெறலாம்.
नागेशः कुतः आगतवान्?
नागेशः बङ्गलूरुतः आगतवान्।
வினா சொல் कस्मात् ற்கு பதிலாக कुतः என்கின்ற அவ்யய சொல் இடம் பெறுவதைக் கவனிக்கவும்.
ப்ராதிபதிகத்துடன் (प्रातिपदिकम्) ‘तः இணைந்து पञ्चमी विभक्तिः யின் பொருளை உணர்த்துகிறது. तसिल् அல்லது तस् ப்ரத்ய்யத்தின் சேர்க்கையினால் எஞ்சுவது ‘तः' விகுதி ஆகும்.
‘तः’ விகுதி இணைந்த ஒரு சில எடுத்துக்காட்டுகளைக் காண்போம்.
पञ्चमी विभक्तिः | तः- योजने | |
---|---|---|
श्वः मन्त्री विदेशात् आगमिष्यति। श्वः मन्त्री कस्मात् आगमिष्यति? | श्वः मन्त्री विदेशतः आगमिष्यति। श्वः मन्त्री कुतः आगमिष्यति? | அமைச்சர் வெளிநாட்டிலிருந்து நாளை வருகிறார். |
मातुलः काश्याः गङ्गाजलम् आनीतवान्। मातुलः कस्याः गङ्गाजलम् आनीतवान्। | मातुलः काशीतः गङ्गाजलम् आनीतवान्। मातुलः कुतः गङ्गाजलम् आनीतवान्। | மாமன் காசியிலிருந்து கங்கா ஜலம் கொண்டு வந்தார். |
अङ्गुलीयकम् अङ्गुल्याः पतति। अङ्गुलीयकम् कस्याः पतति। | अङ्गुलीयकम् अङ्गुलीतः पतति। अङ्गुलीयकम् कुतः पतति। | மோதிரம் விரலிலிருந்து விழுகிறது. |
चोरः कारागृहात् निर्गच्छति। चोरः कस्मात् निर्गच्छति। | चोरः कारागृहतः निर्गच्छति। चोरः कुतः निर्गच्छति। | திருடன் சிறைச் சாலையிலிருந்து வெளியேறுகிறான். कारागृह – अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः शब्दः |
பயத்தைக் குறிப்பிடும்பொழுது பயத்தின் காரணத்தை पञ्चमी विभक्तिः உணர்த்துகின்றது. ‘भी’ தாது பயப்படுதல் என்ற பொருளைக கொண்டுள்ளது. இத்தாது விசேஷமான க்ரியா பதங்களை ஏற்கிறது. அனைத்து पुरुषः, वचनम् ங்களில் 'भी’ தாதுவின் நிகழ்கால வடிவங்கள் (लट्) கீழே தரப்பட்டுள்ளன.
परस्मैपदी ‘भी’ धातुः – लटि क्रियापदानि | |||
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प्रथमपुरुषः | बिभेति | बिभितः , बिभीतः | बिभ्यति |
मध्यमपुरुषः | बिभेषि | बिभिथः , बिभीथः | बिभिथ , बिभीथ |
उत्तमपुरुषः | बिभेमि | बिभिवः , बिभीवः | बिभिमः , बिभीमः |
தலைப்பை ‘க்ளிக்’ செய்து அனைத்து கால மற்றும் நிலைகளில் ‘भी धातुः வடிவங்களைக் காணவும். பயத்தின் காரணம் पञ्चमी विभक्तिः யால் விளக்கப் படுவதை கீழ்க் காணும் உதாஹரணங்கள் தெளிவாக விளக்குகின்றன. ‘तः’ விகுதி சேர்ந்த மாற்று வாக்கியங்களும் தரப்பட்டுள்ளன.
पञ्चमी विभक्तिः | तः- योजने | |
---|---|---|
हरिणः व्याघ्रात् बिभेति। हरिणः कस्मात् बिभेति? மான் புலியிடத்தில் பயப்படுகிறது. | हरिणः व्याघ्रतः बिभेति। हरिणः कुतः बिभेति? | व्याघ्रात् – अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘व्याघ्र’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
जनाः हन्तुः भीतः सन्ति। जनाः कस्मात् भीतः सन्ति। மக்கள் கொலைகாரனைக் கண்டு அஞ்சியவர்களாக இருக்கிறார்கள். | जनाः हन्तृतः भीतः अस्ति। जनाः कुतः भीतः अस्ति। | हन्तुः – ऋकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘हन्तृ' शब्दः – एकवचनम् - पञ्चमी विभक्तिः |
सज्जनाः अधर्मात् बिभ्यति। सज्जनाः कस्मात् बिभ्यति? நன்மக்கள் அதர்மத்தைக் கண்டு அஞ்சுகிறார்கள். | सज्जनाः अधर्मतः बिभ्यति। सज्जनाः कुतः बिभ्यति? | अधर्मात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘अधर्म’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
ஆபத்து அல்லது துரதிர்ஷ்டத்திலிருந்து காக்கப்படும்பொழுது ஆபத்து/துரதிர்ஷ்டத்தைக் குறிக்கும் சொல்லுடன் पञ्चमी विभक्तिः சேர்க்கப்படுகிறது. காக்கும் பொருளில் ‘रक्ष्’ தாது வின் க்ரியா பதம் அமைகிறது. இந்நிலக்குரிய पञ्चमी विभक्तिः மற்றும் ‘तः’ விகுதி உதாஹரணங்கள் கீழேக் கொடுக்கப்பட்டுள்ளன.
पञ्चमी विभक्तिः | तः- योजने | |
---|---|---|
छत्रम् अस्मान् आतपात् रक्षति। छत्रम् अस्मान् कस्मात् रक्षति? குடை நம்மை வெயிலிலிருந்து காக்கிறது. | छत्रम् अस्मान् आतपतः रक्षति। छत्रम् अस्मान् कुतः रक्षति? | आतपात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘आतपः’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
विष्णुः मकरात् गजेन्द्रं अरक्षत्। विष्णुः कस्मात् गजेन्द्रं अरक्षत्? விஷ்ணு பகவான் கஜேந்திரனை முதலையிடமிருந்நு காத்தார். | विष्णुः मकरतः गजेन्द्रं अरक्षत्। विष्णुः कुतः गजेन्द्रं अरक्षत्? | मकरात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘मकरः’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
आरक्षकाः चोरेभ्यः जनान् रक्षन्ति। आरक्षकाः केभ्यः जनान् रक्षन्ति? காவலர்கள் மக்களை திருடர்களிடமிருந்து காக்கின்றனர். | आरक्षकाः चोरेभ्यः जनान् रक्षन्ति। आरक्षकाः कुतः जनान् रक्षन्ति? | चोरेभ्यः - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘चोरः’ शब्दः – बहुवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
கீழ்க்காணும் அவ்யய பதங்கள் தொடரும்பொழுது पञ्चमी विभक्तिः பயன்படுத்தப்படுகிறது.
बहिः – வெளியே
आरभ्य - தொடங்கி
पूर्वम् – முன்பு
परः – பின்னர்
இவற்றைப் போன்ற வேறு சில அவ்யயங்களுடனும் पञ्चमी विभक्तिः பதங்கள் இணைகின்றன. அவற்றைக் குறித்து தொடரும் படிவில் விரிவாக கற்க இருக்கிறோம். மேற் கூறப்பட்ட அவ்யயங்களைக் கொண்ட உதாஹரண வாக்கியங்களைப் பார்ப்போம்.
पञ्चमी विभक्तिः | तः- योजने | |
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गृहात् बहिः वृक्षः अस्ति। कस्मात् बहिः वृक्षः अस्ति? வீட்டிற்கு வெளியே மரம் இருக்கிறது. | गृहतः बहिः वृक्षः अस्ति। | गृहात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘गृहः’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
प्रातःकालात् आरभ्य कर्मकराः परिश्रमं कुर्वन्ति। कस्मात् आरभ्य कर्मकराः परिश्रमं कुर्वन्ति? வேலைக்காரர்கள் காலையிலிருந்து கடினமாக உழைக்கிறார்கள். | प्रातःकालतः आरभ्य कर्मकराः परिश्रमं कुर्वन्ति। | प्रातःकालात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘काल’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
संस्कृतकक्षायाः पूर्वं अल्पाकारं अकुर्म। कस्याः पूर्वं अल्पाहारम् अकुर्म? ஸம்ஸ்க்ருத வகுப்பிற்கு முன்பு சிற்றுண்டி உண்டோம். | संस्कृतकक्षातः पूर्वं अल्पाहारम् अकुर्म। | कक्षायाः - आकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘कक्षा’ शब्दः –एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
रविवासरात् परं सोमवासरः अस्ति। कस्मात् परं सोमवासरः अस्ति। திங்கள் கிழமை ஞாயிற்று கிழமைக்கு பின் வருகிறது. | रविवासरतः परं सोमवासरः अस्ति। | वासरात् - अकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘वासर’ शब्दः – एकवचनम् – पञ्चमी विभक्तिः |
चतुर्थी विभक्तिः க்காண பயிற்சியில் கூறியதைப் போல், நீங்கள் படிக்கும் வரிகள் அல்லது ஸ்லோகங்களில் पञ्चमी विभक्तिः வடிவங்களை அறிந்துக் கொள்ள முயற்சி செய்யங்கள். தொடரும் படிவுகளில் சிறு பாடங்கள் மற்றும் கதைகளின் உதவியுடன் விபக்திகளின் ப்ரயோகங்களை விரிவாக கற்க இருக்கிறோம். இப்பாடத்துக்குரிய அப்யாஸங்களை செய்வோம். इदानीम् अभ्यासं कुर्म।
वृक्षः – अकारान्तः पुल्लिङ्गशब्दः
वृक्षात् वृक्षाभ्याम् वृक्षेभ्यः
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தமிழில் ஐந்தாம் வேற்றுமையையொட்டி ஸம்ஸ்க்ருதத்தில் पञ्चमीविभकितिः யைப் பற்றி அறிந்தோம். ஸம்பாஷண வீடியோக்களில் मम नाम, तस्य पिता, तव माता போன்ற வாக்கியங்களைக் கேட்டிருக்கிறோம். ஓருவருடன் அல்லது ஒன்றுடன் உள்ள சம்பந்தத்தை குறிக்கும் षष्ठी-विभक्तिः பற்றி தொடரும் பாடத்தில் கற்க இருக்கிறோம். நமது அடுத்த பாடம்....
பாடம் 22: ஸம்ஸ்க்ருத நாம பதங்கள் ஷஷ்டீ விபக்தி - षष्ठी विभक्तिः
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